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Left Ovarian Cyst In Hindi| ओवरी में गांठ के  लक्षण | इलाज और कारण

Left Ovarian Cyst In Hindi| ओवरी में गांठ के लक्षण | इलाज और कारण

Gynecologist & IVF Specialist, Vinsfertility Hospital 18+ Years Experience • 1,000+ Successful Live Births

ओवरी में सिस्ट सामान्य होता है, हर 10  में से लगभग 8  महिलाओं को जीवन में कभी न कभी यह समस्या होती है। इनमें से ज़्यादातर बिना संकेत के खुद ठीक हो जाती हैं। लेकिन जब यह सिस्ट बाईं ओवरी में बनती है तो यह  बाईं ओवरी सिस्ट कहलाती है, जो कुछ मामले में दर्द या कष्ट भी दे सकती है।
चलिए इसे आसान भाषा में विस्तार से समझते हैं — खासतौर पर आज की दिनचर्या को ध्यान में रखते हुए।

बाईं ओवरी की सिस्ट क्या होती है?

महिलाओं के शरीर में दो अंडाशय (ovaries) होते हैं — एक बाईं ओर और एक दाईं ओर, इनका काम होता है अंडाणु बनाना और महिला हार्मोन बनाना |
बाईं ओवेरीअन सिस्ट एक तरह की पानी भरी थैली होती है, यह सिस्ट आमतौर पर छोटी होती है और बिना किसी इलाज के खुद ठीक हो जाती है। ज्यादातर लड़कियों और महिलाओं को जीवन में कभी न कभी ओवरी में सिस्ट हो सकती है। यह सिस्ट हर महीने अंडा बनने की प्रक्रिया के दौरान भी बन सकती है, जिसे "फंक्शनल सिस्ट" कहते हैं। यह खतरनाक नहीं होती और कुछ समय बाद खुद ही गायब हो जाती है।
लेकिन अगर सिस्ट बड़ी हो जाए या लंबे समय तक बनी रहे, तो इससे पेट के निचले हिस्से में दर्द, मासिक धर्म में गड़बड़ी, पेट फूला हुआ लगना, या पेशाब में दिक्कत हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर से जांच करवाना जरूरी होता है।

अगर आपको बाईं अंडाशय में सिस्ट, हार्मोनल असंतुलन या अनियमित पीरियड्स के कारण गर्भधारण में समस्या हो रही है, तो सरोगेसी आपके लिए एक सुरक्षित और असरदार विकल्प हो सकता है। अब जानिए बैंगलोर में सरोगेसी और की लागत भारत में सरोगेसी की कुल खर्च और पूरी प्रक्रिया!

ओवरी की सिस्ट के प्रकार

1. फंक्शनल सिस्ट
ये सबसे आम प्रकार की सिस्ट्स होती हैं जो की मासिक धर्म के चक्र के दौरान ओवरी में बनती हैं। इसके दो प्रकार होते है :
  • फॉलिक्यूलर सिस्ट - हर महीने अंडा (फॉलिकल) जब पूरा विकसित होता है और ओवरी से निकलता है, तो अगर यह फॉलिकल टूटता नहीं है तो उसमें तरल पदार्थ भर जाता है और यह सिस्ट बन जाती है। यह आमतौर पर 5 से 6 सेंटीमीटर तक हो सकती है और खुद ही ठीक हो जाती है।
  • कोरपस ल्यूटियम सिस्ट - अंडे के निकलने के बाद जो हिस्सा बचता है उसे कोरपस ल्यूटियम कहते हैं। कभी-कभी इसमें तरल भर जाता है और यह सिस्ट बन जाती है। यह भी सामान्यत: बिना इलाज के ठीक हो जाती है।
2. डर्मॉइड सिस्ट
  • डर्मॉइड सिस्ट सिस्ट ओवरी में जन्म से मौजूद रहती है, यह आमतौर पर दर्द नहीं देती लेकिन अगर बड़ी हो जी तो परेशानी दे सकती है |
  • इसमें बाल, दांत, चर्बी, हड्डी जैसे शरीर के अन्य अंगों के टिशू हो सकते हैं, क्योंकि यह जन्म से जुड़ी कोशिकाओं से बनती है।
  • यह धीरे-धीरे बढ़ती है और बड़ी हो सकती है, इसलिए इसके इलाज के लिए ऑपरेशन की जरूरत हो सकती है।
3. एंडोमेट्रियोमा
  • इसे “चॉकलेट सिस्ट” भी कहते हैं। यह सिस्ट एंडोमेट्रियोसिस से बनती है, जिसमें यूट्रस की परत ओवरी पर आ जाती है।
  • इसमें खून जमा होकर चॉकलेट जैसा गाढ़ा तरल बन जाता है।
  • यह सिस्ट दर्दनाक होती है और मासिक धर्म में दिक्कत पैदा कर सकती है।
4. सिस्टैडेनोमा
  • यह सिस्ट बड़ी हो सकती है और ओवरी की बाहरी सतह से बनती है, जिसमे पानी या बलगम जैसी चीजे भरी होती है।
  • यह सिस्ट अगर बड़ी हो जी तो पेट में दबाव डालती है , कई बार इसे ऑपरेशन से हटाना पड़ता है क्योंकि यह बड़ी होते रहती है।
5. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
  • इसमें ओवरी में कई छोटी-छोटी सिस्ट्स होती हैं।
  • यह हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है और मासिक धर्म अनियमित हो जाता है।
  • यह फर्टिलिटी यानी गर्भधारण की समस्या भी पैदा कर सकता है।

बाईं ओवरी की सिस्ट के लक्षण

सिस्ट के लक्षण कई महिलाओ को नहीं होते लेकिन अगर सिस्ट बड़ी हो जाए, फट जाए, या मुड़ जाए, तो ये लक्षण दिख सकते हैं:
1. पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
यह सबसे आम लक्षण है। दर्द बाईं ओर महसूस होता है क्योंकि सिस्ट बाईं ओवरी में होती है।दर्द हल्का, तेज, चुभने वाला या लगातार बना रह सकता है।अचानक बहुत तेज दर्द होना  सिस्ट के फटने या मरोड़ के कारण हो सकता है।
2. पेट फूला हुआ लगना
सिस्ट के बड़े हो जाने पर पेट भारी या फूला हुआ महसूस हो सकता है और टाइट कपड़े पहनने में मुश्किल महसूस हो सकती है।
3. कमर या जांघ में दर्द
बाईं ओर की ओवरी की सिस्ट से जुड़ा दर्द कमर या जांघ तक फैल सकता है। बैठने या खड़े होने पर दर्द अधिक महसूस हो सकता है।
4. सेक्स के दौरान दर्द
इंटरकोर्स के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। खासकर जब सिस्ट बड़ी हो तो या अंदरूनी अंगों पर दबाव डाल रही होती है।
5. बार-बार पेशाब आना या पेशाब में कठिनाई
बड़ी सिस्ट मूत्राशय पर दबाव डाल सकती है, जिससे बार-बार पेशाब की इच्छा हो सकती है।कभी-कभी पेशाब करते समय जलन या दर्द भी हो सकता है।
6. गर्भधारण में कठिनाई
अगर सिस्ट हार्मोन से संबंधित हो (जैसे PCOS या एंडोमेट्रियोमा), तो इससे ओवुलेशन प्रभावित हो सकता है, जिससे गर्भधारण में दिक्कत हो सकती है।
 

बाईं ओवरी में सिस्ट बनने के कारण

1. हार्मोनल असंतुलन
यह सबसे सामान्य कारण होता है। मासिक धर्म चक्र के दौरान ओवरी से अंडा निकलने की प्रक्रिया में अगर कोई बाधा आ जाए, तो फॉलिकल ठीक से फट नहीं पाता और वहीं एक सिस्ट बन जाती है। यह असामान्यता थायरॉयड, प्रोलैक्टिन, इंसुलिन या अन्य हार्मोन के बिगड़ने से हो सकता है।
2. फेल हुई ओव्यूलेशन प्रक्रिया
हर महीने एक अंडा ओवरी से निकलता है। अगर यह प्रक्रिया सही से न हो तो फॉलिकल में तरल जमा हो सकता है और सिस्ट बन जाती है। यह आमतौर पर फंक्शनल सिस्ट होती है जो खुद ही ठीक हो जाती है।
3. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)
यह एक हार्मोनल विकार है जिसमें ओवरी में कई छोटी-छोटी सिस्ट्स बन जाती हैं। इसमें          ओवुलेशन सही से नहीं होता, जिससे पीरियड अनियमित हो जाते हैं। यह स्थिति गर्भधारण में भी बाधा बन सकती है।
4. गर्भावस्था
गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में कभी-कभी "कोरपस ल्यूटियम सिस्ट" बन जाती है, जो भ्रूण को पोषण देने वाले हार्मोन बनाती है। यह सामान्य है और अधिकतर मामलों में गर्भावस्था के साथ ही खत्म हो जाती है।
5. अनुवांशिक कारण
अगर परिवार में माँ, बहन या किसी और महिला को ओवरी सिस्ट की समस्या रही हो, तो इसकी संभावना बढ़ जाती है।
 

सिस्ट का पता कैसे लगाया जाता है?

1. डॉक्टरी जांच

  • सबसे पहले डॉक्टर आपके लक्षणों के बारे में पूछते हैं, जैसे:

    • पेट दर्द

    • अनियमित पीरियड्स

    • पेट फूला हुआ महसूस होना

    • पेशाब में परेशानी

  • इसके बाद वे शारीरिक रूप से पेट या पेल्विक एरिया (पेट के नीचे का हिस्सा) की जांच करते हैं।

  • अगर किसी जगह सूजन, दर्द या गांठ जैसी चीज़ महसूस होती है, तो आगे की जांच की जाती है।

2. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) – मुख्य जांच

  • यह ओवरी की सिस्ट का पता लगाने की सबसे आम और भरोसेमंद जांच है।

  • दो तरीके से किया जाता है:

    • एब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड: पेट के ऊपर से किया जाता है।

    • ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड: योनि (vagina) के अंदर एक पतली छड़ी डालकर किया जाता है, जिससे ओवरी की और भी साफ़ तस्वीर मिलती है।

  • इस जांच से सिस्ट का:

    • आकार (size)

    • स्थान (left या right ovary)

    • प्रकार (simple, complex, solid, या fluid-filled)

    • बनावट (गांठ जैसी या चिकनी)
      देखा जाता है।

3. सीटी स्कैन (CT Scan) या एमआरआई (MRI)

  • अगर सिस्ट का आकार बहुत बड़ा हो, या अल्ट्रासाउंड से स्पष्ट जानकारी न मिले, तो CT या MRI करवाया जा सकता है।

  • इससे पता चलता है कि सिस्ट ओवरी की है या किसी और अंग से जुड़ी है, और उसकी बनावट कैसी है।

4. बायोप्सी अगर सिस्ट संदिग्ध हो
  • अगर डॉक्टर को सिस्ट कैंसर जैसी लग रही हो, तो उसका एक छोटा सा टिशू सैंपल लेकर माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है।

इलाज के तरीके 

1. दवाओं से इलाज
a. हार्मोनल गोलियां :

  • ओवुलेशन को रोकती हैं, जिससे नई सिस्ट बनने से बचा जा सकता है

  • कभी-कभी पुरानी सिस्ट भी धीरे-धीरे छोटी हो सकती है

  • खासकर उन महिलाओं को दी जाती हैं जिनमें सिस्ट बार-बार बनती है

b. पेनकिलर्स:

  • अगर सिस्ट के कारण पेट या कमर में हल्का दर्द हो तो ये दवाएं दी जाती हैं

  • उदाहरण: Ibuprofen, Mefenamic Acid, Drotaverine

c. PCOS में दी जाने वाली दवाएं:

  • Metformin (इंसुलिन संतुलन के लिए)

  • Clomiphene (गर्भधारण के लिए ओवुलेशन को प्रेरित करने हेतु)

  • हार्मोन बैलेंस के लिए अन्य सपोर्टिव दवाएं

2. सर्जरी से इलाज
कब जरूरत पड़ती है:

  • सिस्ट का आकार बड़ा हो (>5-6 cm)

  • सिस्ट फट जाए या उसमें मरोड़ आ जाए

  • सिस्ट में ठोस हिस्सा हो

  • कैंसर की आशंका हो

  • दर्द बहुत ज्यादा हो

a. लेप्रोस्कोपी:

  • यह एक छोटा ऑपरेशन होता है जिसमें पेट में छोटे-छोटे चीरे लगाकर कैमरे और औज़ारों से सिस्ट निकाली जाती है

  • जल्दी ठीक हो जाते हैं और दर्द भी कम होता है

  • सिस्ट निकालकर ओवरी को बचाया जाता है

b. लेप्रोटॉमी:

  • जब सिस्ट बहुत बड़ी हो या कैंसरस लग रही हो, तब यह ऑपरेशन किया जाता है

  • पेट में बड़ा चीरा लगाकर सिस्ट निकाली जाती है

  • अगर ज़रूरत पड़े, तो पूरी ओवरी भी निकाली जा सकती है

3. डर्मॉइड और एंडोमेट्रियोमा जैसे विशेष सिस्ट का इलाज
डर्मॉइड सिस्ट:

  • जन्मजात होती है और सर्जरी से ही निकाली जाती है

  • दवाओं से ठीक नहीं होती

एंडोमेट्रियोमा:

  • एंडोमेट्रियोसिस से बनने वाली "चॉकलेट सिस्ट"

  • हार्मोनल दवाओं से दर्द कम किया जाता है

  • अगर सिस्ट बड़ी है तो सर्जरी जरूरी होती है

4. PCOS से संबंधित सिस्ट का इलाज
इलाज की 3 प्रमुख बातें:

  1. दवा: Metformin, Birth Control Pills

  2. डाइट: कम शुगर, हाई फाइबर फूड

  3. व्यायाम: रोजाना 30 मिनट वॉक/योग

  4. वजन नियंत्रित रखना: मोटापा पीसीओएस को बढ़ाता है

जीवनशैली में बदलाव और बचाव

आजकल की जीवनशैली सिस्ट बनने का बड़ा कारण बन गई है। कुछ उपाय:
1. खानपान:

  • ताजे फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज

  • चीनी और तले हुए भोजन से बचें

  • वजन नियंत्रित रखें

2. व्यायाम:

  • योग, वॉकिंग, डांस आदि

  • हफ्ते में कम से कम 4-5 दिन

3.तनाव से बचाव:

  • मेडिटेशन, प्राणायाम, संगीत सुनना

  • नींद पूरी लें

निष्कर्ष

बाईं ओवरी की सिस्ट आम है और अक्सर बिना इलाज के ठीक हो जाती है।
लेकिन जागरूकता, समय पर जांच और हेल्दी लाइफस्टाइल से इसे गंभीर होने से बचाया जा सकता है।
आज के समय में जहां हार्मोनल समस्याएं और तनाव बढ़ रहे हैं, महिलाओं को अपने शरीर की सुननी चाहिए और नियमित स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए।

FAQ

1. कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए?
यदि अचानक तेज दर्द, बुखार, उल्टी या बेहोशी जैसे लक्षण हों—क्योंकि यह टूटने या मरोड़ (torsion) का संकेत हो सकता है और चिकित्सीय आपातकाल है |

2. क्या बाई ओवरी सिस्ट खुद ठीक हो जाती है?
हो, खासकर फंक्शनल सिस्ट 1–3 महीने में गायब हो जाती हैं यदि लक्षण नहीं हैं ।

3. क्या ये गर्भधारण में बाधा है?
आमतौर पर नहीं, लेकिन PCOS या एन्डोमेट्रियोमा जैसी सिस्ट गर्भधारण को प्रभावित कर सकती हैं।

4. क्या हर बार सर्जरी जरूरी है?
नहीं। केवल यदि सिस्ट बड़ी (>7 cm), बढ़ती हो, दर्द देती हो, या कैंसर का शक हो—तब ही सर्जरी की सलाह होती है ।

 
SOURCE: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK560541/

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