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बार-बार बच्चा क्यों गिर जाता है | गर्भपात के कारण | बचाव और इलाज
गर्भपात (Miscarriage) किसी भी महिला के लिए बेहद भावनात्मक और शारीरिक रूप से कठिन अनुभव होता है। जब एक बार गर्भपात होता है, तो उसे अक्सर शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया माना जाता है, लेकिन अगर बार-बार बच्चा गिर जाता है, तो यह केवल संयोग नहीं है बल्कि इसके पीछे कुछ मेडिकल कारण हो सकते हैं।
आंकड़ों के अनुसार, लगभग 10–15% गर्भधारण में प्राकृतिक गर्भपात हो जाता है, लेकिन अगर लगातार दो या उससे ज्यादा बार गर्भपात हो, तो इसे Repeated Miscarriage (Recurrent Pregnancy Loss) कहा जाता है।
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे:
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मिसकैरेज का मतलब और यह कैसे होता है
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बार-बार गर्भ गिरने के कारण
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लक्षण और पहचान
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बार-बार मिसकैरेज से कैसे बचें
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मिसकैरेज के बाद गर्भधारण कब संभव है
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बार-बार गर्भपात के नुकसान
बार-बार गर्भपात होने पर कई बार प्राकृतिक गर्भधारण कठिन हो जाता है। ऐसे में सरोगेसी एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जहाँ माता-पिता अपने सपनों का बच्चा सुरक्षित तरीके से पा सकते हैं। जानें भारत में सरोगेसी की लागत और बैंगलोर में सरोगेसी की लागत और सही विकल्प चुनकर अपने पैरेंटहुड के सपने पूरे करें।
Miscarriage Meaning in Hindi – मिसकैरेज का मतलब क्या है?
मिसकैरेज (Miscarriage) का अर्थ है गर्भावस्था का 20 हफ्ते से पहले रुक जाना। जब गर्भ में पल रहा शिशु (भ्रूण) किसी कारण से सही तरीके से विकसित नहीं हो पाता, तो गर्भ आगे नहीं बढ़ पाता और गर्भपात हो जाता है। इसे हिंदी में गर्भपात या गर्भ गिरना कहा जाता है।
यह एक बहुत ही संवेदनशील स्थिति होती है क्योंकि इसमें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक असर भी पड़ता है। कई बार महिलाओं को यह लगता है कि शायद यह उनकी गलती है, लेकिन सच तो यह है कि ज्यादातर मामलों में मिसकैरेज प्राकृतिक कारणों से होता है और इसे रोका नहीं जा सकता।
मिसकैरेज क्यों होता है? (Causes of Miscarriage)
एक बार गर्भपात होना सामान्य माना जा सकता है, लेकिन अगर यह बार-बार हो तो इसके पीछे कई छिपे हुए कारण हो सकते हैं।
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हार्मोनल असंतुलन- थायरॉइड की समस्या या प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की कमी गर्भ को टिकने नहीं देती और भ्रूण का विकास रुक सकता है।
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गर्भाशय की समस्या- गर्भाशय में गांठ (Fibroids), पॉलीप्स, चिपकाव या असामान्य आकार भ्रूण को सही से विकसित होने से रोक सकते हैं।
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आनुवांशिक कारण- कुछ मामलों में पति-पत्नी के क्रोमोसोम में गड़बड़ी होने से भ्रूण का विकास रुक जाता है।
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रक्त से जुड़ी समस्याएं- ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर या Rh Factor incompatibility गर्भपात की संभावना को बढ़ा सकते हैं।
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संक्रमण- यूरीन या प्रजनन तंत्र में संक्रमण गर्भ के शुरुआती चरण में समस्या पैदा कर सकता है।
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जीवनशैली और स्वास्थ्य- धूम्रपान, शराब, तनाव, मोटापा, बहुत कम वजन या खराब खानपान गर्भ को प्रभावित कर सकते हैं।
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उम्र- महिलाओं में 35 साल के बाद गर्भपात का खतरा काफी बढ़ जाता है।
Miscarriage Symptoms in Hindi (मिसकैरेज के लक्षण)
मिसकैरेज होने से पहले कुछ संकेत दिख सकते हैं, जिन्हें समझना जरूरी है:
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योनि से खून आना – यह हल्के धब्बों (Spotting) से लेकर ज़्यादा ब्लीडिंग तक हो सकता है।
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पेट और कमर में दर्द या ऐंठन – पीरियड्स जैसे या उससे ज्यादा तेज़ दर्द महसूस होना।
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पानी या टिश्यू जैसी चीज़ बाहर आना – योनि से असामान्य डिस्चार्ज होना।
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भ्रूण की धड़कन बंद हो जाना – अल्ट्रासाउंड में बच्चे की हार्टबीट रुक जाना।
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कमजोरी और चक्कर आना – शरीर में थकान या ब्लड लॉस की वजह से कमजोरी आना।
Miscarriage kaise hota hai? (मिसकैरेज कैसे होता है?)
मिसकैरेज (गर्भ गिरना) कई कारणों से हो सकता है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया भी हो सकती है, जब शरीर सही से विकसित न हो रहे भ्रूण को आगे बढ़ने नहीं देता। मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
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भ्रूण का सही से विकसित न होना – जब भ्रूण में क्रोमोसोमल गड़बड़ी या कोई अन्य विकास संबंधी समस्या होती है।
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गर्भाशय की संरचना में समस्या – गर्भाशय में गाँठ (फाइब्रॉइड) या आकार की असामान्यता गर्भधारण को प्रभावित कर सकती है।
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हार्मोनल असंतुलन या ब्लड क्लॉटिंग – हार्मोन की कमी, थायरॉइड या रक्त के थक्के जमने की समस्या भ्रूण के विकास को रोक सकती है।
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संक्रमण – गर्भावस्था के दौरान होने वाले कुछ संक्रमण गर्भपात का कारण बन सकते हैं।
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माँ की सेहत और उम्र – बढ़ती उम्र, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, थायरॉइड जैसी बीमारियाँ या अस्वस्थ जीवनशैली भी गर्भ गिरने का खतरा बढ़ाती हैं।
यदि बार-बार गर्भपात हो रहा है और प्राकृतिक गर्भधारण कठिन हो रहा है, तो IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक असरदार विकल्प हो सकता है। ऐसे समय में सही क्लिनिक चुनना और अलग-अलग शहरों में IVF की लागत जानना बेहद ज़रूरी है। आप दिल्ली में IVF की लागत और रांची में IVF की लागत। देख सकते हैं, ताकि आपको सही निर्णय लेने में आसानी हो।
बार-बार गर्भपात से बचाव के उपाय (How to Prevent Repeated Miscarriage)
बार-बार गर्भपात होना महिला और परिवार दोनों के लिए तनावपूर्ण स्थिति है। लेकिन सही समय पर टेस्ट और इलाज से इस समस्या से बचा जा सकता है।
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नियमित टेस्ट कराएं – ब्लड टेस्ट और हार्मोनल टेस्ट करवाना ज़रूरी है ताकि किसी भी कमी या असंतुलन का पता चल सके।
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गर्भाशय की जांच – सोनोग्राफी और HSG (Hysterosalpingography) टेस्ट से गर्भाशय की बनावट या नलियों की समस्या का पता चलता है।
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स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं – पौष्टिक आहार लें, नशे से दूर रहें, नियमित व्यायाम करें और तनाव कम करने की कोशिश करें।
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संक्रमण का इलाज करें – अगर बार-बार इंफेक्शन हो रहा है तो तुरंत इलाज करवाएं।
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एडवांस ट्रीटमेंट का सहारा – IVF, ICSI और Genetic Testing जैसी तकनीकें बार-बार गर्भपात की समस्या में मददगार हो सकती हैं।
मिसकैरेज के बाद प्रेगनेंसी कब होती है?
गर्भपात के बाद शरीर को पूरी तरह रिकवर होने में लगभग 2–3 महीने का समय लगता है। हालांकि कुछ महिलाएँ 1 महीने बाद भी प्रेग्नेंट हो सकती हैं, लेकिन बेहतर है कि शरीर को पर्याप्त समय दिया जाए। हमेशा डॉक्टर की सलाह लेकर ही दोबारा गर्भधारण की कोशिश करनी चाहिए।
बार-बार गर्भ गिराने से क्या नुकसान होता है?
लगातार गर्भपात होने से महिला के शरीर और मन पर गहरा असर पड़ सकता है। इससे गर्भाशय कमजोर हो सकता है और बार-बार संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। भविष्य में गर्भ ठहरने में कठिनाई (Infertility) हो सकती है। इसके अलावा, बार-बार गर्भपात से मानसिक तनाव, अवसाद और आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याएँ भी सामने आती हैं।
मिसकैरेज का खतरा कब तक रहता है?
गर्भावस्था के शुरुआती 12 हफ्ते सबसे अधिक रिस्की होते हैं। इस समय भ्रूण सबसे संवेदनशील होता है और गर्भपात का खतरा अधिक रहता है। अगर पहला तिमाही सुरक्षित निकल जाए तो आगे मिसकैरेज की संभावना काफी कम हो जाती है।
कब डॉक्टर से संपर्क करें?
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अगर लगातार 2 या उससे ज्यादा बार गर्भपात हुआ है।
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अगर गर्भपात के साथ तेज दर्द, बुखार या ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है।
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अगर आपको पहले से थायरॉइड, डायबिटीज या ब्लड क्लॉटिंग की समस्या है।
स्रोत
निष्कर्ष
बार-बार बच्चा गिरना केवल किस्मत या कमजोरी की वजह से नहीं होता, बल्कि इसके पीछे मेडिकल कारण होते हैं। सही जांच और समय पर इलाज से ज्यादातर महिलाएँ स्वस्थ गर्भधारण कर सकती हैं और माँ बन सकती हैं।
बार-बार गर्भ गिरने से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQ)
1. बार-बार गर्भ गिराने से क्या नुकसान होता है?
बार-बार गर्भपात होने से महिला के शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। इससे गर्भाशय कमजोर हो सकता है, बार-बार संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और भविष्य में गर्भ ठहरने में कठिनाई (Infertility) हो सकती है। साथ ही, मानसिक तनाव, अवसाद और आत्मविश्वास की कमी भी देखने को मिलती है।
2. कितने महीने का गर्भ गिर सकता है?
ज्यादातर गर्भपात पहले 12 हफ्तों (पहली तिमाही) में होता है। 20 हफ्ते तक का गर्भ गिरना Miscarriage कहलाता है। जबकि 20 हफ्ते के बाद भ्रूण की मृत्यु होने पर इसे Stillbirth कहा जाता है।
3. एक महिला कितनी बार अबॉर्शन कर सकती है?
कानूनी और चिकित्सकीय दृष्टि से, भारत में Medical Termination of Pregnancy (MTP) Act के अनुसार, सुरक्षित परिस्थितियों में गर्भपात किया जा सकता है। लेकिन बार-बार अबॉर्शन कराने से गर्भाशय और प्रजनन तंत्र पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसलिए इसे केवल चिकित्सक की देखरेख में और मेडिकल कारणों से ही कराना चाहिए।
4. मिसकैरेज का खतरा कब तक रहता है?
गर्भावस्था के शुरुआती 12 हफ्ते सबसे संवेदनशील होते हैं और इस दौरान गर्भपात का खतरा अधिक होता है। अगर यह पहला तिमाही सुरक्षित निकल जाए तो आगे गर्भपात की संभावना काफी कम हो जाती है।