
बच्चा गिराने के बाद पीरियड कब आता है? | गर्भपात के बाद मासिक धर्म | पोस्ट अबॉर्शन रिकवरी
गर्भपात यानी बच्चा गिराना एक ऐसा अनुभव है जो महिला के शरीर और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर असर डालता है। ऐसे में सबसे आम और जरूरी सवाल होता है – "बच्चा गिराने के बाद पीरियड कितने दिन में आता है?" यह जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पीरियड का समय महिला की रिकवरी, फर्टिलिटी और भविष्य की गर्भधारण योजना से जुड़ा होता है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से बताएंगे कि गर्भपात के बाद मासिक धर्म कब आता है, पहला पीरियड कैसा होता है, ओवुलेशन कब शुरू होता है, किन लक्षणों पर डॉक्टर से मिलना चाहिए और कैसे दोबारा गर्भधारण से बचा जाए। अगर आप अबॉर्शन के बाद पीरियड से जुड़ी हर जानकारी ढूंढ रही हैं, तो यह लेख आपके लिए पूरी तरह उपयोगी है।
गर्भपात के बाद पीरियड आने में कितना समय लगता है?
गर्भपात के बाद मासिक धर्म (पीरियड) दोबारा आने में आमतौर पर 4 से 6 हफ्तों का समय लगता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि गर्भपात कैसे हुआ – दवाई से (मेडिकल) या ऑपरेशन से (सर्जिकल)।
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मेडिकल एबॉर्शन (दवाई से गर्भपात): जब गर्भपात दवाइयों से किया जाता है, तब शरीर को हार्मोनल बैलेंस वापस लाने में थोड़ा समय लगता है। इसलिए पीरियड आमतौर पर 4 से 6 हफ्तों में आते हैं।
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सर्जिकल एबॉर्शन (ऑपरेशन से): इसमें डॉक्टर भ्रूण को ऑपरेशन के ज़रिए निकालते हैं। इस स्थिति में शरीर जल्दी रिकवर करता है, और पीरियड 3 से 5 हफ्तों में आ सकते हैं।
हर महिला का शरीर अलग होता है, इसलिए पीरियड आने का समय थोड़ा अलग हो सकता है। अगर 6 हफ्ते बाद भी पीरियड न आएं, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
गर्भपात से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जानकारी यह भी है कि भारत में कानूनी रूप से गर्भ कितने समय तक गिराया जा सकता है। यह जानना हर महिला के लिए आवश्यक है, खासकर उन स्थितियों में जब निर्णय जल्दी लेना होता है।
पीरियड में देरी के संभावित कारण
गर्भपात के बाद पीरियड आमतौर पर 4 से 6 हफ्तों में आ जाते हैं, लेकिन कभी-कभी इसमें देरी हो सकती है। इसके कुछ सामान्य कारण नीचे दिए गए हैं:
1. हार्मोनल असंतुलन
गर्भपात के बाद शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे पीरियड देर से आते हैं।
2. मानसिक तनाव
तनाव और चिंता पीरियड चक्र को प्रभावित कर सकते हैं, खासकर गर्भपात जैसे भावनात्मक अनुभव के बाद।
3. शरीर का पूरी तरह से ठीक न होना
अगर शरीर कमजोरी में है या सही पोषण नहीं मिल रहा है, तो रिकवरी धीमी हो जाती है और पीरियड में देरी हो सकती है।
4. थायरॉइड या पीसीओडी
इन समस्याओं से पहले से पीड़ित महिलाओं में गर्भपात के बाद पीरियड और ज्यादा अनियमित हो सकते हैं।
5. अधूरा गर्भपात या संक्रमण
अगर गर्भपात पूरी तरह से नहीं हुआ हो या अंदर संक्रमण हो जाए, तो पीरियड रुक सकते हैं और अन्य लक्षण भी हो सकते हैं।
अबॉर्शन के बाद पहला पीरियड कैसा होता है?
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पहले पीरियड में अधिक या कम ब्लीडिंग हो सकती है।
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कभी-कभी क्रैम्प्स ज्यादा हो सकते हैं।
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पहले 1-2 साइकल अनियमित हो सकते हैं।
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रंग गाढ़ा या थक्का युक्त भी हो सकता है — ये आम बात है।
अबॉर्शन के बाद अगला गर्भधारण कब करें?
गर्भपात के बाद अगली बार गर्भधारण करने का सही समय महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, किसी महिला को अबॉर्शन (गर्भपात) के बाद दोबारा गर्भधारण करने से पहले कम से कम 6 महीने का अंतर रखना चाहिए।
इससे यूट्रस को पूरी तरह से रिकवर होने का समय मिलता है और अगली प्रेग्नेंसी में कोई जटिलता नहीं आती।
क्यों जरूरी है इंतजार करना?
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शरीर और हार्मोन को संतुलन में आने का समय मिलता है
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यूट्रस पूरी तरह से ठीक हो जाता है
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मां और बच्चे की सेहत पर सकारात्मक असर पड़ता है
अबॉर्शन के बाद शरीर का ख्याल कैसे रखें?
गर्भपात के बाद शरीर और मन दोनों को समय और सही देखभाल की जरूरत होती है। अगर आप जल्दी पीरियड्स की सामान्य वापसी चाहती हैं और दोबारा स्वस्थ होना चाहती हैं, तो नीचे दिए गए सुझाव आपके लिए बेहद उपयोगी हैं।
1. भरपूर आराम करें
गर्भपात के बाद शरीर कमजोर हो जाता है, इसलिए कुछ दिन मानसिक और शारीरिक आराम बहुत जरूरी होता है। नींद पूरी लें और स्ट्रेस से दूर रहें।
2. पोषक आहार लें
आयरन और फॉलिक एसिड से भरपूर चीजें जैसे – हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें, फल और सूखे मेवे शामिल करें। इससे शरीर की ताकत लौटती है और हार्मोन संतुलन भी सुधरता है।
3. भारी काम और एक्सरसाइज से परहेज
गर्भपात के बाद कुछ दिन भारी सामान उठाना, ज़ोरदार वर्कआउट या लंबी दूरी चलना टालें। इससे आंतरिक अंगों को ठीक होने का समय मिलता है।
4. यौन संबंध से परहेज
जब तक डॉक्टर की अनुमति न मिले, तब तक संभोग न करें। यह संक्रमण से बचाव और गर्भाशय को रिकवर करने का समय देने के लिए जरूरी होता है।
5. स्वच्छता का ध्यान रखें
पर्सनल हाइजीन बनाए रखें। सैनिटरी पैड बदलते रहें, इन्फेक्शन से बचने के लिए डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें।
अबॉर्शन के बाद जो ब्लीडिंग होती है, क्या वह पीरियड है?
नहीं। अबॉर्शन के तुरंत बाद जो ब्लीडिंग होती है, उसे पोस्ट-अबॉर्शन ब्लीडिंग कहते हैं। यह मासिक धर्म नहीं होता।
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यह 1 से 2 हफ्तों तक चल सकती है।
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यह ब्लीडिंग शरीर से गर्भपात के अवशेषों को बाहर निकालती है।
रिकवरी के लिए क्या करें?
अबॉर्शन के बाद शरीर को ताकत और संतुलन में लाने के लिए सही खानपान और देखभाल जरूरी होती है। नीचे दिए गए पोषक तत्व शरीर को जल्दी रिकवर करने में मदद करते हैं:
पोषक तत्व |
स्रोत |
लाभ |
आयरन |
पालक, गुड़, अनार |
खून की कमी दूर करता है |
फॉलिक एसिड |
अंडा, दालें |
हार्मोन बैलेंस करने में सहायक |
प्रोटीन |
दूध, दही, दाल |
यूट्रस की मरम्मत में मदद करता है |
विटामिन C |
नींबू, संतरा |
इम्युनिटी बढ़ाता है |
साथ ही, भरपूर पानी पीना, पर्याप्त नींद लेना और तनाव से दूर रहना भी जल्दी रिकवरी के लिए जरूरी है।
अबॉर्शन के बाद ओवुलेशन कब होता है?
यह बहुत जरूरी जानकारी है, जिसे ज्यादातर महिलाएं नजरअंदाज कर देती हैं।
गर्भपात के बाद 2 से 3 हफ्तों के भीतर ओवुलेशन (अंडोत्सर्ग) शुरू हो सकता है।
इसका मतलब है कि:
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पीरियड आने से पहले ही आप दोबारा गर्भवती हो सकती हैं
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यदि गर्भधारण नहीं चाहती हैं तो गर्भनिरोधक उपायों का उपयोग करना जरूरी है
गर्भपात के तुरंत बाद शरीर फिर से प्रजनन के लिए तैयार हो सकता है, इसलिए सुरक्षित सेक्स बहुत जरूरी है।
अगर आप प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं, तो Vinsfertility का सरोगेसी प्रोग्राम आपके लिए मददगार हो सकता है। यह प्रोग्राम दिल्ली और बेंगलुरु में उपलब्ध है और स्वस्थ बच्चे की गारंटी के साथ एक सुरक्षित और सरल प्रक्रिया प्रदान करता है।
अबॉर्शन के बाद सेक्स कब करें?
गर्भपात के बाद सेक्स करने से पहले शरीर और मन दोनों का पूरी तरह ठीक होना जरूरी है। आमतौर पर डॉक्टर 2 से 3 हफ्तों तक यौन संबंध से परहेज करने की सलाह देते हैं, खासकर जब तक ब्लीडिंग पूरी तरह बंद न हो, संक्रमण का कोई लक्षण न हो और महिला मानसिक रूप से तैयार न हो। जल्दबाजी में सेक्स करने से संक्रमण और गर्भाशय को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा, अबॉर्शन के 2–3 हफ्तों में ओवुलेशन शुरू हो सकता है, जिससे दोबारा प्रेग्नेंसी का खतरा होता है। इसलिए गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है।
ऐसे में यह समझना भी जरूरी है कि पीरियड के कितने दिन बाद संबंध बनाने से गर्भ नहीं ठहरता, ताकि अनचाही प्रेग्नेंसी से बचाव हो सके।
निष्कर्ष
बच्चा गिराने के बाद पीरियड का समय हर महिला के शरीर पर निर्भर करता है। सामान्यतः यह 4 से 8 हफ्तों में आ जाता है। इस दौरान सही खान-पान, डॉक्टर की सलाह और मानसिक देखभाल जरूरी है। अगर किसी भी प्रकार की असामान्यता महसूस हो तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। यह जानकारी महिलाओं के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मददगार होगी।