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बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं?

बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं?

गर्भावस्था एक खूबसूरत सफर हो सकता है, लेकिन जीवन की परिस्थितियाँ हमेशा एक जैसी नहीं होतीं। कभी-कभी ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं, जब किसी महिला को गर्भपात का निर्णय लेना पड़ता है। गर्भपात एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी कारणवश गर्भावस्था को समाप्त किया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से भी हो सकता है, जिसे स्वतःस्फूर्त गर्भपात (Miscarriage) कहा जाता है, या फिर यह एक चिकित्सीय प्रक्रिया हो सकती है, जिसे मेडिकल या सर्जिकल गर्भपात कहा जाता है। गर्भपात (अबॉर्शन) एक संवेदनशील विषय है, और इसे कानूनी और चिकित्सा दृष्टिकोण से समझना बेहद जरूरी है। हर महिला को यह जानने का अधिकार है कि गर्भपात कब और कैसे किया जा सकता है, और इस प्रक्रिया के दौरान उसे क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
 

गर्भपात की कानूनी समय सीमा | Abortion Time Limit in India

एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील निर्णय होता है, जिसे लेने से पहले सही जानकारी और कानूनी अधिकारों की समझ होना बेहद ज़रूरी है। हर महिला की स्थिति अलग होती है, और इस प्रक्रिया को पूरी सावधानी और चिकित्सकीय देखरेख में किया जाना चाहिए।

20 सप्ताह (5 महीने) तक गर्भपात
अगर गर्भावस्था 20 सप्ताह से कम है, तो गर्भपात के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। पहले 12 सप्ताह (3 महीने) तक महिला केवल एक डॉक्टर की सलाह पर गर्भपात करा सकती है। लेकिन 12 से 20 सप्ताह के बीच गर्भपात के लिए दो डॉक्टरों की सहमति आवश्यक होती है। इस समय सीमा में गर्भपात केवल उन्हीं मामलों में किया जाता है, जहाँ महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को खतरा हो या फिर भ्रूण में कोई गंभीर समस्या पाई गई हो। डॉक्टर पूरी मेडिकल हिस्ट्री की जांच करने के बाद यह तय करते हैं कि गर्भपात करना सुरक्षित होगा या नहीं।

20 से 24 सप्ताह (5 से 6 महीने) तक गर्भपात
इस अवधि में गर्भपात केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकता है। अगर महिला बलात्कार पीड़िता है, नाबालिग है, मानसिक रूप से असमर्थ है, या भ्रूण में गंभीर असमान्यताएँ पाई गई हैं, तो डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम इस पर निर्णय लेती है। इस स्थिति में गर्भपात के लिए दो विशेषज्ञ डॉक्टरों की राय अनिवार्य होती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह निर्णय महिला के स्वास्थ्य के लिए सही है।

24 सप्ताह के बाद गर्भपात
अगर गर्भावस्था 24 सप्ताह से अधिक हो गई है, तो सामान्य तौर पर गर्भपात की अनुमति नहीं होती। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे कि भ्रूण में गंभीर असमान्यता हो या गर्भावस्था महिला के जीवन के लिए खतरा बन रही हो, तो डॉक्टरों का एक मेडिकल बोर्ड इस पर विचार करता है। इस मेडिकल बोर्ड में विशेषज्ञ डॉक्टर होते हैं, जो यह तय करते हैं कि गर्भपात करना सुरक्षित और आवश्यक है या नहीं।

 

गर्भपात के तरीके | Types of Abortion

गर्भपात के तरीके मुख्य रूप से गर्भावस्था की समय सीमा पर निर्भर करते हैं। गर्भधारण के शुरुआती हफ्तों में मेडिकल गर्भपात (Medicine Abortion) उपयुक्त होता है, जबकि बाद के हफ्तों में सर्जिकल गर्भपात (Surgical Abortion) की आवश्यकता पड़ सकती है।

दवाइयों द्वारा गर्भपात 

मेडिकल गर्भपात आमतौर पर 9 सप्ताह (लगभग 63 दिन) तक की गर्भावस्था के लिए उपयुक्त होता है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर की सलाह से गर्भपात की दवाइयां दी जाती हैं, जो गर्भाशय की परत को कमजोर कर भ्रूण को बाहर निकालने में मदद करती हैं। 
इस प्रक्रिया में हल्का से मध्यम रक्तस्राव और पेट में ऐंठन हो सकती है, जो कुछ दिनों तक जारी रह सकता है। मेडिकल गर्भपात एक गैर-सर्जिकल और आसान विकल्प है, लेकिन इसे केवल शुरुआती हफ्तों में ही किया जा सकता है।

 

किसे दवा द्वारा गर्भपात नहीं करवाना चाहिए?

आप दवा से गर्भपात कराने का विचार कर रही हैं, तो कुछ खास परिस्थितियों में यह तरीका आपके लिए सुरक्षित नहीं हो सकता। यह ज़रूरी है कि आप अपनी सेहत और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सही निर्णय लें।

  • गर्भावस्था 11 सप्ताह से ज्यादा हो गई हो- अगर आपकी गर्भावस्था 11 सप्ताह से अधिक हो चुकी है, तो गर्भपात की दवाइयाँ प्रभावी नहीं होतीं। इस स्थिति में दवा से गर्भपात करने की कोशिश करना खतरनाक हो सकता है और गंभीर जटिलताएँ पैदा कर सकता है।

  • सेहत से जुड़ी कोई गंभीर समस्या हो- अगर आपको खून के थक्के बनने की समस्या, अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal Gland) से जुड़ी परेशानी, या गंभीर एनीमिया जैसी कोई बीमारी है, तो गर्भपात की दवाइयाँ आपके लिए सुरक्षित नहीं हो सकतीं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लेना बेहद ज़रूरी है।

  • गर्भाशय में आईयूडी (Copper-T) लगा हो- अगर आपने पहले से आईयूडी (Copper-T) लगवाया हुआ है, तो दवा से गर्भपात करवाने से पहले इसे हटवाना ज़रूरी होता है। अन्यथा, यह प्रक्रिया जटिलताओं को जन्म दे सकती है और आपके स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरी हो सकती है।

  • गर्भपात की दवाइयों से एलर्जी हो- अगर आपको किसी भी दवा से गंभीर एलर्जी या पहले कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया हुई हो, तो गर्भपात की दवाइयाँ लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत महत्वपूर्ण है। एलर्जी की स्थिति में, ये दवाइयाँ आपके लिए घातक साबित हो सकती हैं।

  • पहले से कोई अन्य दवा ले रहे हों- कुछ खास दवाइयाँ ऐसी होती हैं जो गर्भपात की गोलियों के असर को कम कर सकती हैं या फिर आपके स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं। अगर आप पहले से कोई दवा ले रही हैं, तो डॉक्टर को इस बारे में ज़रूर बताएं।

 

सर्जिकल गर्भपात (Surgical abortion)- 

गर्भावस्था 7 से 20 सप्ताह के बीच होती है, तो कई बार दवाइयों से गर्भपात संभव नहीं होता और सर्जिकल गर्भपात की जरूरत पड़ सकती है। यह प्रक्रिया डॉक्टर की निगरानी में की जाती है और इसे सुरक्षित और प्रभावी बनाने के लिए दो मुख्य तकनीकों का उपयोग किया जाता है –  एस्पिरेशन और इवैक्यूएशन Evacuation

1.एस्पिरेशन (7-14 सप्ताह):
हल्के सक्शन (Vacuum) की मदद से भ्रूण और गर्भनाल को बाहर निकाला जाता है। यह एक सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है, जिसे लोकल एनेस्थीसिया देकर किया जाता है।

2.इवैक्यूएशन (14-20 सप्ताह):
गर्भाशय ग्रीवा को चौड़ा करके मेडिकल उपकरणों से भ्रूण को निकाला जाता है। यह थोड़ी जटिल प्रक्रिया होती है, इसलिए इसे एनेस्थीसिया देकर किया जाता है, ताकि महिला को कम दर्द हो।

 

गर्भपात (गर्भ गिराने) के घरेलु उपाय 

आप गर्भपात से जुड़े घरेलू उपायों के बारे में जानना चाहती हैं, तो यह ज़रूरी है कि पहले उनकी सुरक्षा और प्रभाव को समझा जाए। पारंपरिक रूप से कुछ चीज़ों को गर्भपात से जोड़ा जाता है, लेकिन ये वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं हैं और इनके गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

  1. कच्चा पपीता- कच्चे पपीते में लेटेक्स नामक पदार्थ होता है, जो गर्भाशय में संकुचन ला सकता है। कुछ लोग मानते हैं कि यह गर्भपात में मदद कर सकता है, लेकिन यह हर किसी के लिए प्रभावी नहीं होता। अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से गैस्ट्रिक समस्याएँ और एलर्जी हो सकती हैं।

  2. अजमोद (Parsley)- अजमोद में मिरिस्टिसिन और एपिओल नामक यौगिक होते हैं, जो गर्भाशय को संकुचित कर सकते हैं। इसे कभी-कभी पारंपरिक रूप से गर्भपात से जोड़ा जाता है, लेकिन इसका अधिक सेवन शरीर के लिए ज़हरीला हो सकता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है।

  3. अनानास- अनानास में ब्रोमेलैन नामक एंजाइम पाया जाता है, जो गर्भाशय के ऊतकों को नरम करने में मदद कर सकता है। इसे गर्भपात से जोड़ा जाता है, लेकिन इस पर कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। अधिक मात्रा में खाने से एसिडिटी और पेट की समस्याएँ हो सकती हैं।

  4. मेथी के बीज (Fenugreek Seeds)- मेथी के बीजों में सैपोनिन होता है, जो गर्भाशय के संकुचन को प्रेरित कर सकता है। कुछ लोग इसे गर्भपात के लिए कारगर मानते हैं, लेकिन यह शरीर पर अन्य नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जैसे ब्लड प्रेशर कम होना और कमजोरी महसूस होना।

  5. अदरक का जूस- अदरक की तासीर गर्म होती है, और इसे पारंपरिक रूप से गर्भपात से जोड़ा जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि यह शरीर के हार्मोनल संतुलन को प्रभावित कर सकता है, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। अधिक सेवन से एसिडिटी और गैस्ट्रिक समस्या हो सकती है।


सावधानी- ये सभी घरेलू उपाय पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं और इनका असर हर महिला पर अलग-अलग हो सकता है। गलत तरीके से किया गया गर्भपात संक्रमण, अत्यधिक रक्तस्राव और अन्य गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है। इसलिए, अगर आप गर्भावस्था को लेकर कोई निर्णय ले रही हैं, तो कृपया पहले किसी डॉक्टर से सलाह लें

 

गर्भपात के बाद सावधानियां | Precautions After Abortion

गर्भपात के बाद शरीर को समुचित देखभाल और पोषण की आवश्यकता होती है, ताकि महिला का स्वास्थ्य जल्द से जल्द सामान्य हो सके। चाहे गर्भपात दवाइयों से हुआ हो या सर्जिकल तरीके से, दोनों ही स्थितियों में शरीर को आराम और सही देखभाल की जरूरत होती है। संक्रमण, हार्मोनल असंतुलन और अन्य संभावित जटिलताओं से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियों का पालन करना जरूरी है।

  1. डॉक्टर की निगरानी में ही गर्भपात कराएं- गर्भपात एक संवेदनशील चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसे केवल योग्य डॉक्टर की देखरेख में ही करवाना चाहिए। किसी भी अनाधिकृत क्लीनिक या घरेलू उपायों से गर्भपात कराने की कोशिश न करें, क्योंकि इससे गंभीर संक्रमण, अत्यधिक रक्तस्राव या अन्य स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं। हमेशा किसी विश्वसनीय और अनुभवी डॉक्टर से परामर्श लेकर ही यह निर्णय लें।

  2. गर्भपात के बाद शरीर को आराम दें- गर्भपात के बाद कमजोरी महसूस होना स्वाभाविक है, इसलिए शरीर को पूरा आराम देना बहुत जरूरी है। अत्यधिक शारीरिक श्रम, भारी सामान उठाने या थकाने वाले काम करने से बचें, क्योंकि इससे गर्भाशय पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। आराम करने से शरीर को ठीक होने में मदद मिलती है और अनावश्यक जटिलताओं का खतरा कम होता है।

  3. संतुलित और पौष्टिक आहार लें- गर्भपात के बाद शरीर से रक्त की कमी हो सकती है, जिससे कमजोरी, चक्कर आना और थकावट महसूस हो सकती है। इसलिए, शरीर को पोषण देने के लिए आयरन, प्रोटीन, और विटामिन से भरपूर आहार लें। हरी सब्जियां, ताजे फल, दालें, नट्स, और डेयरी उत्पाद भोजन में शामिल करें। आयरन युक्त भोजन, जैसे पालक, अनार, और गुड़ खाने से शरीर में रक्त की पूर्ति तेजी से होती है। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में पानी और तरल पदार्थ लें, ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे।

  4. संक्रमण से बचाव के लिए सफाई का विशेष ध्यान रखें- गर्भपात के बाद संक्रमण का खतरा अधिक होता है, इसलिए व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना बहुत जरूरी है। सैनिटरी पैड का उपयोग करें और इसे नियमित रूप से बदलते रहें। टॉयलेट जाने के बाद सफाई का विशेष ध्यान रखें और गुनगुने पानी से स्नान करें।

  5. अनियमित या अत्यधिक रक्तस्राव होने पर डॉक्टर से संपर्क करें- गर्भपात के बाद हल्का रक्तस्राव सामान्य होता है, लेकिन यदि अत्यधिक रक्तस्राव हो, पेट में तेज़ दर्द हो, बुखार आए, या किसी असामान्य गंध वाला डिस्चार्ज हो, तो यह संक्रमण या अधूरे गर्भपात (Incomplete Abortion) का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।

 

निष्कर्ष | Conclusion

गर्भपात करवाने का निर्णय एक गंभीर और व्यक्तिगत फैसला होता है। यदि आप इस प्रक्रिया के बारे में विचार कर रही हैं, तो पहले किसी अनुभवी चिकित्सक से परामर्श करें और सभी कानूनी एवं स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं को समझें। सुरक्षित और कानूनी तरीके से गर्भपात कराना आपकी सेहत के लिए जरूरी है।

अगर आप प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं और प्रेगनेंसी का यह सुख पाना चाहती हैं, तो सरोगेसी (Surrogacy)आपके लिए एक सुरक्षित और सफल विकल्प हो सकता है।  भारत के कई शहरों  जैसे  मुंबई बैंगलोर में  Vinsfertility के ज़रिए आप विश्वसनीय और अनुभवी सरोगेसी सेवाओं का लाभ उठा सकती हैं। हमारे विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम पूरी प्रक्रिया को न सिर्फ आसान बनाती है, बल्कि भावनात्मक और मेडिकल सहयोग भी लगातार देती है। यदि आप सरोगेसी से जुड़ी जानकारी या सहायता चाहते हैं, तो Vinsfertility आपकी यह यात्रा आसान और भरोसेमंद बना सकता है।
 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)



1. गलती से प्रेग्नेंट हो जाए तो क्या करें?
तुरंत गाइनाकोलॉजिस्ट से संपर्क करें। 9 सप्ताह तक दवाइयों से गर्भपात संभव है, उसके बाद सर्जिकल गर्भपात कराना पड़ता है।

2. महीने का गर्भ कैसे गिराया जाता है?
6 सप्ताह के बाद सिर्फ सर्जिकल गर्भपात (D&E) ही संभव है, जिसे डॉक्टर की निगरानी में अधिकृत अस्पताल में कराया जाना चाहिए।

3. 5 हफ्ते की प्रेगनेंसी को कैसे हटाएं?
डॉक्टर की सलाह से माइफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल दवाइयाँ लेकर मेडिकल गर्भपात किया जा सकता है।





 

Dr sunita singh Rathour

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