Surrogate Mother in Hindi | सरोगेट माँ का मतलब | Surrogacy Process Guide
आज के समय में जब हजारों दंपति प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण नहीं कर पाते, तब surrogate mother एक बड़ी उम्मीद बनकर सामने आती है। कई महिलाएँ गर्भाशय से जुड़ी बीमारियों, हार्मोनल समस्याओं, बार-बार गर्भपात, अत्यधिक कमजोरी या किसी गंभीर मेडिकल स्थिति के कारण बच्चा नहीं कर पातीं। ऐसे में एक स्वस्थ महिला 9 महीने तक उनके बच्चे को गर्भ में रखती है और जन्म के बाद बच्चा इच्छुक माता-पिता को सौंप देती है — इसी प्रक्रिया को surrogacy कहा जाता है। surrogacy पूरी तरह मेडिकल निगरानी और कानूनी नियमों के तहत की जाती है।
इस लेख में आप जानेंगे: surrogate mother कौन हो सकती है, उसके लिए योग्यता क्या होती है, भारत का कानून क्या कहता है, प्रक्रिया कैसे होती है, खर्च कितना आता है, surrogate mother को क्या मिलता है, जोखिम, फायदे और वास्तविकता
अगर बार-बार प्रेगनेंसी में दिक़्क़त आती है, तो सरोगेसी एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है। ऐसे में भारत में सरोगेसी की लागत और बैंगलोर में सरोगेसी की लागत जानना और सही क्लिनिक का चयन करना मददगार हो सकता है।
Surrogate Mother Meaning in Hindi | सरोगेट मदर का मतलब
सरोगेट मदर वह महिला होती है जो किसी अन्य दंपत्ति के लिए चिकित्सकीय देखरेख में गर्भधारण (प्रेग्नेंसी) करती है और नौ महीने बाद जन्मे बच्चे को उन्हीं दंपत्ति को सौंप देती है। यह प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब दंपत्ति किसी कारण से स्वयं गर्भधारण नहीं कर पाते। सरोगेट माँ का बच्चे से कोई जैविक संबंध नहीं होता (अधिकतर मामलों में), क्योंकि भ्रूण लैब में बनाकर उसके गर्भ में स्थापित किया जाता है।
Surrogate Mother Kaise Banti Hai?
कोई भी महिला सरोगेट तभी बन सकती है जब वह कुछ आवश्यक चिकित्सीय और कानूनी मानकों को पूरा करती हो। प्रक्रिया इस प्रकार है:
1. उम्र 21 से 35 वर्ष के बीच होना आवश्यक
सरोगेसी कानून के अनुसार सरोगेट माँ की उम्र निर्धारित सीमा के भीतर होनी चाहिए, ताकि गर्भावस्था सुरक्षित रहे।
2. शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ
डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि महिला को कोई गंभीर रोग, मानसिक तनाव या ऐसी स्वास्थ्य समस्या न हो जो गर्भधारण को प्रभावित करे।
3. पहले से कम से कम एक सफल प्रसव का अनुभव
सरोगेट बनने के लिए महिला का पहले माँ बनना आवश्यक है। इससे डॉक्टर को पता चल जाता है कि उसकी गर्भावस्था सामान्य रूप से पूरी हो सकती है।
4. डॉक्टर द्वारा विस्तृत स्वास्थ्य जाँच
इसमें शामिल है:
-
रक्त परीक्षण
-
हार्मोन जाँच
-
गर्भाशय की स्कैनिंग
-
IVF विशेषज्ञ द्वारा मूल्यांकन
इन सभी रिपोर्टों के सामान्य होने पर ही सरोगेसी की अनुमति मिलती है।
5. कानूनी कागज़ात और सहमति पत्र
सरोगेसी (नियमन) अधिनियम 2021 के अनुसार:
-
कानूनी अनुबंध
-
मेडिकल बोर्ड की अनुमति
-
सहमति पत्र (Consent Form)
पूरी प्रक्रिया से पहले अनिवार्य होते हैं।
योग्यता पूरी होने पर प्रक्रिया शुरू होती है
जब सभी मेडिकल और कानूनी चरण सफल हो जाते हैं, तब महिला को आधिकारिक रूप से सरोगेसी प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाता है।
Types of Surrogacy in Hindi | भारत में सरोगेसी के प्रकार
भारत में सरोगेसी को लेकर कई लोग भ्रमित रहते हैं कि कितने प्रकार की सरोगेसी होती है और भारत में कौन-सी सरोगेसी कानूनी है। इस लेख में हम सरल भाषा में सरोगेसी के प्रकार (Types of Surrogacy in Hindi) समझेंगे, साथ ही जानेंगे कि देश में कौन-सी सरोगेसी की अनुमति है।
1. Altruistic Surrogacy (एल्ट्रूइस्टिक सरोगेसी) – भारत में कानूनी
परोपकारी सरोगेसी वह तरीका है जिसमें सरोगेट माँ को कोई पैसों का लाभ नहीं दिया जाता।
उसके केवल—
-
इलाज का खर्च
-
गर्भावस्था के दौरान होने वाले खर्च
-
बीमा
की भरपाई माता-पिता बनने वाले दंपत्ति द्वारा की जाती है।
यह तरीका भारत में पूरी तरह कानूनी है।
इसमें सरोगेट माँ आमतौर पर परिवार या रिश्तेदारी की महिला होती है।
2. Commercial Surrogacy (कमर्शियल सरोगेसी) – भारत में प्रतिबंधित
व्यावसायिक सरोगेसी वह प्रक्रिया है जिसमें सरोगेट माँ को गर्भ धारण करने और बच्चे को जन्म देने के बदले में पैसे दिए जाते हैं। यह तरीका भारत में पूरी तरह प्रतिबंधित है।
सरकार ने महिलाओं के शोषण को रोकने के लिए इसे गैर-कानूनी घोषित किया है।
Surrogate Mother Process in India | भारत में सरोगेसी प्रक्रिया कैसे होती है?
भारत में सरोगेसी की पूरी प्रक्रिया डॉक्टरों और विशेषज्ञों की निगरानी में बहुत सुव्यवस्थित तरीके से की जाती है। यह कई चरणों में पूरी होती है:
1. दंपत्ति की स्वास्थ्य जाँच
सबसे पहले उस दंपत्ति की पूरी जाँच की जाती है जो सरोगेसी करवाना चाहते हैं। इसमें खून की जाँच, हार्मोन जाँच और अन्य ज़रूरी मेडिकल टेस्ट शामिल होते हैं, जिससे यह पता चले कि सरोगेसी उनके लिए सही विकल्प है या नहीं।
2. सरोगेट माँ का चयन और जाँच
इसके बाद एक ऐसी महिला चुनी जाती है जो पहले से माँ बन चुकी हो और शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हो। उसकी भी पूरी जाँच की जाती है ताकि गर्भधारण और प्रसव दोनों सुरक्षित रह सकें।
3. अंडाणु और शुक्राणु से भ्रूण तैयार करना
दंपत्ति के अंडाणु और शुक्राणु की मदद से प्रयोगशाला में भ्रूण तैयार किया जाता है। यदि आवश्यकता हो, तो डॉक्टर डोनर अंडाणु या शुक्राणु का उपयोग भी कर सकते हैं।
4. भ्रूण को सरोगेट माँ के गर्भ में रखना
जब भ्रूण पूरी तरह तैयार हो जाता है, तो उसे सरोगेट माँ के गर्भ में सावधानीपूर्वक स्थानांतरित किया जाता है। यही वह समय होता है जब गर्भधारण शुरू होता है।
5. गर्भावस्था के नौ महीनों की देखभाल
गर्भधारण के बाद सरोगेट माँ की नियमित जाँच, सोनोग्राफी, दवाओं और खानपान की पूरी देखभाल की जाती है। डॉक्टर समय-समय पर बच्चें की वृद्धि भी जाँचते रहते हैं।
6. प्रसव और कानूनी प्रक्रिया
समय पूरा होने पर प्रसव कराया जाता है। जन्म के बाद बच्चे को कानूनी प्रक्रियाओं के तहत इच्छुक माता-पिता को सौंप दिया जाता है, और सभी दस्तावेज पूरे किए जाते हैं।
पूरी सरोगेसी प्रक्रिया लगभग 12–15 महीनों में पूरी हो जाती है।
Surrogate Mother Cost in India | भारत में सरोगेट माँ का खर्च
भारत में commercial surrogacy प्रतिबंधित है, इसलिए सरोगेट माँ को कोई आर्थिक लाभ नहीं दिया जाता। लेकिन सरोगेसी प्रक्रिया से जुड़े ज़रूरी मेडिकल खर्च दंपत्ति को वहन करने होते हैं।
मुख्य मेडिकल खर्च
-
IVF और भ्रूण स्थानांतरण: अंडाणु निकालना, निषेचन और भ्रूण को गर्भ में स्थापित करने का खर्च।
-
दवाइयाँ और इंजेक्शन: गर्भ को सुरक्षित रखने के लिए हार्मोनल दवाइयाँ और नियमित इंजेक्शन।
-
रूटीन जाँच और अल्ट्रासाउंड: पूरे गर्भकाल में बार-बार होने वाली स्कैनिंग और रक्त परीक्षण का खर्च।
-
डिलीवरी का खर्च: सामान्य प्रसव या ऑपरेशन—दोनों के अपने शुल्क। कभी-कभी NICU की आवश्यकता हो सकती है।
-
कानूनी दस्तावेज: अनुमति, बीमा और आवश्यक कागज़ात की प्रक्रिया।
कुल अनुमानित खर्च
₹10–15 लाख (क्लिनिक और मेडिकल जटिलता के अनुसार बदल सकता है)
भारत में सरोगेट माँ के नियम | Surrogate Mother Rules in India
भारत में सरोगेसी को सुरक्षित, पारदर्शी और नियंत्रित बनाने के लिए सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021 लागू किया गया है। यह कानून सरोगेट माँ और माता-पिता बनने वाले दंपत्ति—दोनों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
1. भारत में केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति
इस कानून के अनुसार, भारत में केवल परोपकारी (निष्काम) सरोगेसी ही मान्य है।
इसमें सरोगेट माँ को कोई आर्थिक लाभ, इनाम या अतिरिक्त भुगतान नहीं दिया जाता — सिर्फ गर्भावस्था से जुड़े खर्चों की भरपाई की जाती है।
2. व्यावसायिक सरोगेसी पूरी तरह प्रतिबंधित
किसी भी तरह की पैसे के बदले सरोगेसी को भारत में गैर-कानूनी माना गया है।
सरकार ने इसे महिलाओं के शोषण और भ्रूण कारोबार को रोकने के लिए प्रतिबंधित किया है।
3. केवल भारतीय विवाहित दंपत्ति पात्र
इन नियमों के अनुसार:
-
दंपत्ति भारतीय नागरिक होने चाहिए
-
विवाह को कम से कम 5 वर्ष पूरे होने चाहिए
-
दंपत्ति को चिकित्सा रूप से बाँझ सिद्ध होना आवश्यक है
अविवाहित, विदेशी, समलैंगिक या लिव-इन जोड़े सरोगेसी नहीं करा सकते।
4. उचित कानूनी अनुमति और दस्तावेज अनिवार्य
सरोगेसी प्रक्रिया शुरू करने से पहले:
-
मेडिकल बोर्ड की अनुमति
-
न्यायालय के दिशा-निर्देश
-
अस्पताल और दंपत्ति के बीच कानूनी अनुबंध
-
सरोगेट माँ के लिए बीमा
— ये सभी दस्तावेज आवश्यक हैं।
5. सरोगेट माँ को किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं
कानून के अनुसार सरोगेट माँ को—
-
मासिक भत्ता
-
मेहनताना
-
बोनस
-
किसी भी प्रकार का आर्थिक लाभ
— देना कानूनी अपराध है।
सिर्फ चिकित्सा खर्च और गर्भावस्था के दौरान आवश्यक देखभाल की सुविधा दी जा सकती है।
6. सरोगेट माँ के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा के नियम
कानून में यह भी निर्धारित है कि सरोगेट माँ:
-
विवाहित हो
-
उसके खुद के एक बच्चा हो
-
उम्र 25 से 35 वर्ष के बीच हो
-
मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हो
Surrogate mother को क्या मिलता है?
भारत में surrogate mother को कोई “सैलरी” या “मजदूरी” नहीं दी जाती।
कानून इसकी अनुमति नहीं देता।
उसे केवल:
-
100% मेडिकल खर्च
-
प्रेग्नेंसी के दौरान पोषण, दवाइयाँ
-
डिलीवरी का खर्च
-
36 महीने का स्वास्थ्य बीमा
-
मानसिक व शारीरिक काउंसिलिंग
मिलती है।
इसका उद्देश्य surrogate mother की सुरक्षा और सम्मान है।
Surrogate Mother बनने के फायदे
1. किसी परिवार को माता-पिता बनने की खुशी देना
सरोगेट माँ बनकर आप एक ऐसे दंपत्ति की मदद करती हैं जो वर्षों से संतान की चाहत में संघर्ष कर रहे होते हैं। यह उनके जीवन में उम्मीद और खुशी वापस लाने का अवसर होता है।
2. पूरी चिकित्सा देखभाल और सुरक्षा
सरोगेसी के दौरान सरोगेट माँ को नियमित जाँच, उच्च-स्तरीय चिकित्सा सुविधा, पोषण और स्वास्थ्य से जुड़ी पूरी देखभाल उपलब्ध कराई जाती है। यह उसकी स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत बनाता है।
3. समाज में एक प्रेरणादायक भूमिका
सरोगेट माँ वह महिला होती है जो अपनी क्षमता का उपयोग करके किसी परिवार का सपना पूरा करती है। यह कार्य सामाजिक दृष्टि से बहुत प्रेरणादायक माना जाता है।
अगर बार-बार प्रेगनेंसी में दिक़्क़त आती है, तो IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक प्रभावी विकल्प हो सकता है। ऐसे में, सही क्लिनिक चुनना और दिल्ली में IVF की लागत और रांची में IVF की लागत। की जानकारी लेना आपके लिए मददगार रहेगा।
Surrogate Mother बनने के जोखिम
1. गर्भावस्था से जुड़ी सामान्य जटिलताएँ
सामान्य गर्भावस्था की तरह इसमें उल्टी, कमजोरी, रक्तचाप, शुगर या अन्य चिकित्सीय समस्याएँ आने की संभावना होती है।
2. भावनात्मक जुड़ाव
कभी-कभी गर्भ के दौरान बच्चे के प्रति भावनात्मक लगाव बढ़ सकता है, जिसे संभालना मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
3. शारीरिक कमजोरी
गर्भावस्था के अंतिम महीनों में थकान, दर्द और ऊर्जा की कमी जैसी शारीरिक परेशानियाँ सामान्य होती हैं।
4. प्रसव से जुड़े जोखिम
डिलीवरी—चाहे सामान्य हो या ऑपरेशन से—अपने साथ कुछ स्वास्थ्य जोखिम लेकर आती है जिनका ध्यान रखना जरूरी है।
स्रोत / References
निष्कर्ष
सरोगेसी आज उन दंपत्तियों के लिए एक आशा का प्रकाश बन चुकी है जो किसी कारणवश प्राकृतिक रूप से माता-पिता नहीं बन पाते। यह एक ऐसी पवित्र और मानवता से भरी चिकित्सा प्रक्रिया है जिसने हजारों–लाखों परिवारों के जीवन में खुशियाँ वापस लाई हैं।
इस पूरी प्रक्रिया में सरोगेट माँ की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। वह अपने साहस, संवेदनशीलता और मानवीय भावनाओं से किसी परिवार का सपना पूरा करती है।
यदि हर कदम सावधानी और जिम्मेदारी से उठाया जाए तो यह यात्रा पूरी तरह सुरक्षित, सम्मानजनक और सुखद बन सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. सरोगेट मदर प्रेग्नेंट कैसे होती है?
सरोगेट माँ को IVF के ज़रिए प्रेग्नेंट किया जाता है, जहाँ लैब में बना भ्रूण उसके गर्भ में स्थापित किया जाता है। इसमें उसका कोई जैविक संबंध नहीं होता।
2. सरोगेसी में कितना खर्च आता है?
भारत में सरोगेसी के मेडिकल खर्च लगभग ₹10–15 लाख तक होते हैं, जो क्लिनिक, जाँच और मेडिकल जटिलता पर निर्भर करते हैं।
3. सरोगेसी से बच्चे का जन्म कैसे होता है?
बच्चे का जन्म सामान्य प्रसव या ऑपरेशन—दोनों तरीकों से हो सकता है, जैसे सामान्य गर्भावस्था में होता है। जन्म के बाद बच्चा intended parents को सौंप दिया जाता है।
4. सरोगेसी में स्पर्म कौन देता है?
स्पर्म intended father (दंपत्ति के पुरुष साथी) का उपयोग किया जाता है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर sperm donor की सलाह दे सकते हैं।