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Erectile Dysfunction in Hindi | नपुंसकता के कारण, लक्षण | इलाज और घरेलू उपाय

Erectile Dysfunction in Hindi | नपुंसकता के कारण, लक्षण | इलाज और घरेलू उपाय

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इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) जिसे आम भाषा में स्तंभन दोष या नपुंसकता भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें पुरुष यौन संबंध के दौरान लिंग को पर्याप्त समय तक खड़ा (इरेक्ट) नहीं रख पाते। कभी-कभी यह समस्या थकान, तनाव या अस्थायी कारणों से हो सकती है, लेकिन यदि यह बार-बार होने लगे तो इसे चिकित्सीय समस्या माना जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 40 वर्ष की आयु के बाद हर 10 में से लगभग 5 पुरुष किसी न किसी स्तर पर ED का सामना करते हैं। हालांकि यह केवल उम्र से जुड़ी समस्या नहीं है; आजकल तनाव, अनियमित जीवनशैली और स्वास्थ्य समस्याओं के कारण युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है।
 

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इरेक्शन कैसे होता है? (Normal Process)

लिंग में तनाव लाने के लिए शरीर में कई प्रक्रियाएँ एक साथ काम करती हैं:

  1. दिमाग का संकेत: जब पुरुष को यौन इच्छा होती है या वह किसी रोमांटिक या उत्तेजक स्थिति में होता है, तो सबसे पहले दिमाग सक्रिय होता है। दिमाग से एक संदेश निकलता है जो शरीर को बताता है कि अब यौन उत्तेजना की स्थिति शुरू हो चुकी है।
  2. रक्त प्रवाह (खून का जाना): दिमाग से मिले इस संकेत के बाद लिंग की नसें फैलने लगती हैं। जैसे ही नसें चौड़ी होती हैं, उनमें सामान्य से ज़्यादा खून भरने लगता है। यही खून लिंग को कठोर और सीधा बना देता है।
  3. नसों की भूमिका: लिंग में बहुत सारी बारीक नसें (तंत्रिकाएँ) होती हैं। ये नसें सही तरीके से काम करें तो लिंग में आया तनाव लंबे समय तक बना रहता है। अगर नसों की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी हो, तो इरेक्शन जल्दी ढीला पड़ सकता है।
  4. हार्मोन का असर: शरीर में मौजूद हार्मोन भी इस प्रक्रिया में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। खासकर "टेस्टोस्टेरोन" नाम का हार्मोन पुरुषों की यौन क्षमता और इच्छा दोनों को प्रभावित करता है। अगर शरीर में यह हार्मोन संतुलित मात्रा में हो तो इरेक्शन बेहतर और मजबूत रहता है।
 

इरेक्टाइल डिसफंक्शन का मुख्य कारण क्या है?

इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानी उत्तेजना की समस्या कई वजहों से हो सकती है। इसे तीन मुख्य कारणों में बाँटा जा सकता है—शारीरिक, मानसिक और जीवनशैली से जुड़े कारण। यहाँ शारीरिक कारणों को संक्षेप में समझते हैं:

1. शारीरिक कारण

  • डायबिटीज़ (मधुमेह): लंबे समय तक डायबिटीज़ रहने से नसें और रक्त वाहिकाएँ कमज़ोर हो जाती हैं। इससे खून का प्रवाह और दिमाग से लिंग तक पहुँचने वाला संदेश बाधित होता है।
  • हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग: उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियों से धमनियाँ सख़्त हो जाती हैं, जिससे लिंग तक पर्याप्त खून नहीं पहुँच पाता।
  • हार्मोनल असंतुलन: टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन कम होने पर यौन इच्छा घट जाती है और इरेक्शन बनाए रखना मुश्किल होता है।
  • मोटापा और उच्च कोलेस्ट्रॉल: वजन ज़्यादा होना और खून में कोलेस्ट्रॉल बढ़ना धमनियों को जाम कर देता है, जिससे रक्त प्रवाह प्रभावित होता है।
  • नसों की समस्या: स्पाइनल इंजरी, स्ट्रोक या पार्किन्सन जैसी बीमारियाँ नसों को प्रभावित करती हैं और इरेक्शन की क्षमता घटा देती हैं।
  • दवाइयों के दुष्प्रभाव: कुछ ब्लड प्रेशर और डिप्रेशन की दवाएँ भी इरेक्शन पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं।

2. मानसिक कारण

  • तनाव और चिंता: जब व्यक्ति तनाव या चिंता में होता है तो शरीर रिलैक्स नहीं हो पाता। परफ़ॉर्मेंस की चिंता या रोज़मर्रा की परेशानियाँ इरेक्शन पर सीधा असर डालती हैं।
  • डिप्रेशन (अवसाद): डिप्रेशन के समय दिमाग के रसायन (केमिकल्स) असंतुलित हो जाते हैं। इससे यौन इच्छा भी कम होती है और इरेक्शन की क्षमता भी घट जाती है।
  • आत्मविश्वास की कमी: अगर पुरुष को अपने प्रदर्शन, शरीर या क्षमता पर भरोसा न हो तो वह मानसिक दबाव महसूस करता है। यह दबाव उत्तेजना की प्रक्रिया को बाधित कर देता है।
  • रिश्तों में खटास: पति-पत्नी या साथी के बीच तनाव, झगड़े या भावनात्मक दूरी भी यौन जीवन को प्रभावित करती है। इस स्थिति में मन में असुरक्षा या झिझक पैदा हो जाती है, जिससे उत्तेजना आना कठिन हो जाता है।

3. जीवनशैली से जुड़े कारण

  • धूम्रपान और शराब: सिगरेट में मौजूद निकोटिन खून की नसों को संकरा कर देता है और रक्त प्रवाह घटा देता है। वहीं, अत्यधिक शराब पीने से जिगर और हार्मोन पर असर पड़ता है, जिससे यौन क्षमता कम होती है।
  • नशीले पदार्थों का सेवन: नशीले ड्रग्स दिमाग की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं। इससे न केवल यौन इच्छा कम होती है, बल्कि लिंग में सही समय पर तनाव आना भी कठिन हो जाता है।
  • नींद की कमी: पर्याप्त नींद न लेने से शरीर थका हुआ और असंतुलित रहता है। नींद की कमी हार्मोनल संतुलन को भी बिगाड़ देती है, जिससे इरेक्शन पर असर पड़ता है।
  • व्यायाम न करना: जो लोग नियमित व्यायाम नहीं करते, उनमें मोटापा और ब्लड प्रेशर की समस्या जल्दी बढ़ती है। इसके कारण रक्त प्रवाह बाधित होता है और ED का खतरा बढ़ जाता है।
  • असंतुलित आहार: तैलीय और जंक फूड ज्यादा खाने से शरीर में चर्बी और कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। यह रक्त प्रवाह को कम करता है और धीरे-धीरे इरेक्शन की क्षमता घटा देता है।

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इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) के लक्षण

  1. लिंग का पर्याप्त समय तक इरेक्ट न रहना: ED का सबसे मुख्य लक्षण है कि पुरुष का लिंग पर्याप्त समय तक इरेक्शन बनाए नहीं रख पाता, जिससे संभोग अधूरा रह जाता है।
  2. बार-बार यौन संबंध बनाने में कठिनाई: कई बार पुरुष बार-बार प्रयास करने पर भी यौन संबंध बनाने में सफल नहीं हो पाते।
  3. यौन इच्छा (Sex Drive) में कमी: ED के साथ कई पुरुषों में सेक्स करने की इच्छा भी कम हो जाती है, जिससे दांपत्य जीवन प्रभावित होता है।
  4. आत्मविश्वास की कमी: संभोग के दौरान सफलता न मिलने से आत्मविश्वास घटता है और पुरुष खुद को असफल महसूस करने लगते हैं।
  5. तनाव और निराशा: लगातार समस्या बने रहने पर तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक परेशानियाँ भी बढ़ सकती हैं।

 

इरेक्टाइल डिसफंक्शन की जांच (Diagnosis)

इरेक्टाइल डिसफंक्शन का सही कारण जानने के लिए डॉक्टर कई तरह की जांच करते हैं। इन जांचों से यह पता चलता है कि समस्या शारीरिक है या मानसिक, और उसके अनुसार सही इलाज किया जा सके।

  • शारीरिक जांच – डॉक्टर सबसे पहले आपके रक्तचाप, वजन और हार्मोन स्तर की जांच करते हैं। इससे यह समझ आता है कि शरीर में कोई शारीरिक समस्या तो इरेक्शन में बाधा नहीं बन रही।
  • ब्लड टेस्ट – खून की जांच से डायबिटीज़, टेस्टोस्टेरोन की कमी, कोलेस्ट्रॉल का स्तर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान की जाती है, जो इरेक्शन को प्रभावित कर सकती हैं।
  • नसों और रक्त प्रवाह की जांच – लिंग तक रक्त प्रवाह सही से पहुँच रहा है या नहीं, यह जांचने के लिए डॉक्टर विशेष टेस्ट कर सकते हैं।
  • मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन – कई बार तनाव, चिंता या डिप्रेशन की वजह से भी यह समस्या होती है। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य की जांच की जाती है।
  • यूरिन टेस्ट – पेशाब की जांच से डायबिटीज़ और अन्य आंतरिक बीमारियों का पता लगाया जाता है, जो इरेक्शन को प्रभावित कर सकती हैं।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन की जांच


इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) का इलाज

ED का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि समस्या का कारण शारीरिक है, मानसिक है, या दोनों का मिश्रण है। सही डायग्नोसिस के बाद डॉक्टर अलग-अलग तरह के इलाज सुझा सकते हैं।

1. इरेक्टाइल डिसफंक्शन की दवा

  • सिल्डेनाफिल (Viagra), टाडालाफिल (Cialis), वार्डेनाफिल जैसी दवाइयाँ लिंग में रक्त प्रवाह बढ़ाती हैं।
  • ये दवाइयाँ इरेक्शन को अस्थायी रूप से बनाए रखने में मदद करती हैं ताकि व्यक्ति सामान्य यौन संबंध बना सके।
  • इन दवाइयों का असर कुछ घंटों तक रहता है, लेकिन इन्हें केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए, क्योंकि इनके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं (जैसे सिरदर्द, चक्कर, नाक बंद होना)।

2. हार्मोन थेरेपी

  • अगर शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी पाई जाती है, तो हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जा सकती है।
  • इससे यौन इच्छा (Sex Drive) और इरेक्शन की क्षमता दोनों में सुधार होता है।
  • यह उपचार भी केवल डॉक्टर की निगरानी में ही कराया जाना चाहिए।

3. मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग

  • यदि ED का कारण तनाव, चिंता, डिप्रेशन या रिलेशनशिप प्रॉब्लम्स हैं, तो काउंसलिंग बहुत प्रभावी होती है।
  • मनोचिकित्सक या सेक्स थेरेपिस्ट व्यक्ति को अपनी भावनाएँ खुलकर व्यक्त करने और मानसिक तनाव कम करने में मदद करते हैं।
  • इससे आत्मविश्वास भी बढ़ता है और यौन जीवन पर सकारात्मक असर पड़ता है।

4. सर्जरी और डिवाइस

  • जब दवाइयाँ या थेरेपी असर नहीं करतीं, तो ये विकल्प अपनाए जाते हैं।
  • पेनाइल इम्प्लांट: इसमें लिंग में एक मेडिकल डिवाइस लगाया जाता है, जिससे व्यक्ति अपनी इच्छा से इरेक्शन पा सकता है।
  • वैक्यूम डिवाइस: यह एक पंप की तरह काम करता है, जो लिंग में रक्त खींचकर अस्थायी रूप से इरेक्शन लाता है।
  • ये तरीके उन मरीजों के लिए होते हैं जिनकी समस्या लंबे समय से चल रही हो और सामान्य दवाइयों से सुधार न हो।

 

इरेक्टाइल डिसफंक्शन के घरेलू उपाय


1. लहसुन और अदरक: ये दोनों रक्त प्रवाह को बेहतर बनाते हैं और यौन क्षमता बढ़ाते हैं। रात को सोने से पहले लहसुन की 1-2 कलियाँ या अदरक-शहद का सेवन लाभकारी है।

2. तरबूज और अनार का रस: इनका रस नसों को खोलकर रक्त प्रवाह संतुलित करता है। नियमित सेवन से शरीर में ऊर्जा और यौन स्वास्थ्य दोनों में सुधार होता है।

3. बादाम और अखरोट: ये सूखे मेवे ताक़त और हार्मोन संतुलन के लिए अच्छे हैं। रोज़ाना सुबह भीगे बादाम या अखरोट खाने से पोषण और यौन शक्ति मिलती है।

4. मेथी और अश्वगंधा: मेथी पाचन और रक्त शुद्ध करती है, जबकि अश्वगंधा तनाव कम करके सहनशक्ति और यौन ताक़त बढ़ाती है।
 

जीवनशैली में बदलाव से इरेक्टाइल डिसफंक्शन में सुधार

1. धूम्रपान और शराब से दूरी: धूम्रपान और शराब शरीर की नसों को कमजोर कर देते हैं और रक्त प्रवाह कम कर देते हैं। इन्हें छोड़ने से शरीर की ताकत और यौन स्वास्थ्य बेहतर होता है।

2. नियमित व्यायाम और पैदल चलना: रोज़ाना कम से कम 30 मिनट टहलने या हल्का व्यायाम करने से रक्त संचार अच्छा होता है और शरीर ऊर्जावान रहता है।

3. पर्याप्त नींद लेना: रात में गहरी और पूरी नींद लेने से हार्मोन संतुलित रहते हैं, जिससे तनाव घटता है और यौन क्षमता में सुधार होता है।

4. पौष्टिक आहार: हरी सब्ज़ियाँ, फल और प्रोटीन से भरपूर भोजन करने से शरीर को ज़रूरी पोषण मिलता है और कमजोरी दूर होती है।

5. योग और ध्यान: ध्यान और योग मन को शांत रखते हैं और तनाव को कम करते हैं, जिससे यौन जीवन पर सकारात्मक असर पड़ता है।


इरेक्टाइल डिसफंक्शन और रिश्ते

ED का असर केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और वैवाहिक जीवन पर भी पड़ता है। बहुत से पुरुष शर्म या झिझक के कारण पार्टनर से बात नहीं करते, जिससे रिश्तों में दूरी आ सकती है। खुलकर बात करना, काउंसलिंग लेना और पार्टनर का साथ इस समस्या को काफी हद तक आसान बना देता है।
 

कब डॉक्टर से संपर्क करें?

  • यदि समस्या लगातार 3 महीने से अधिक समय तक बनी रहे
  • बार-बार तनाव या चिंता होने लगे
  • यौन इच्छा पूरी तरह कम हो जाए
  • अन्य बीमारियाँ जैसे डायबिटीज़ या हार्ट डिज़ीज़ हों
 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: क्या ED का इलाज संभव है?
 हाँ, ED का इलाज पूरी तरह संभव है। सही कारण पता चलने पर दवा, थेरेपी और जीवनशैली सुधार से यह ठीक हो सकता है।

प्रश्न 2: क्या घरेलू उपाय से ED ठीक हो सकता है?
 हल्के मामलों में घरेलू उपाय मदद कर सकते हैं, लेकिन गंभीर मामलों में डॉक्टर की सलाह आवश्यक है।

प्रश्न 3: क्या उम्र बढ़ने से ED होना स्वाभाविक है?
 उम्र बढ़ने पर संभावना बढ़ती है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से इसे रोका जा सकता है।

प्रश्न 4: क्या अश्वगंधा और आयुर्वेदिक दवाएँ प्रभावी हैं?
 कुछ रिसर्च में इनके लाभ दिखे हैं, लेकिन हर व्यक्ति पर असर अलग होता है। डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है।

प्रश्न 5: क्या यह केवल मानसिक समस्या है?
 नहीं, यह शारीरिक और मानसिक दोनों कारणों से हो सकती है।

प्रश्न 6: इरेक्टाइल डिसफंक्शन को ठीक करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?
 उत्तर: डॉक्टर की सलाह से ली गई दवाइयाँ तुरंत असर करती हैं, लेकिन लंबे समय तक सुधार के लिए जीवनशैली में बदलाव ज़रूरी है।

प्रश्न 7: अपने इरेक्टाइल डिसफंक्शन की जांच कैसे करें?
 उत्तर: डॉक्टर शारीरिक जांच, ब्लड टेस्ट, हार्मोन टेस्ट और मानसिक स्वास्थ्य का मूल्यांकन करके इसकी पुष्टि करते हैं।

प्रश्न 8: इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए सबसे अच्छा खाना क्या है?
 उत्तर: हरी सब्ज़ियाँ, फल, सूखे मेवे, अनार, तरबूज और प्रोटीन से भरपूर आहार यौन स्वास्थ्य को बेहतर करते हैं।

प्रश्न 9: लिंग की नसों की कमजोरी दूर करने के लिए क्या खाएँ?
 उत्तर: अखरोट, बादाम, अनार, तरबूज, लहसुन और अदरक नसों को मज़बूत बनाते हैं और रक्त प्रवाह को सुधारते हैं।

प्रश्न 10: इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए कौन सा फल सबसे अच्छा है?
 उत्तर: फ्लेवोनोइड से भरपूर फल जैसे स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, सेब, नाशपाती और खट्टे फल इसके लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं।

स्रोत (References)

  1. इरेक्टाइल डिसफंक्शन और चयापचयी/हृदय जोखिम: शोध-समीक्षा (PubMed Central)
  2. इरेक्टाइल डिसफंक्शन और हृदय-धमनी रोग के बीच संबंध: क्लिनिकल साक्ष्य (PubMed Central)
  3. अश्वगंधा सुरक्षा रिपोर्ट (AYUSH मंत्रालय) – PDF

निष्कर्ष

इरेक्टाइल डिसफंक्शन कोई असाध्य समस्या नहीं है। अगर इसे समय पर पहचाना जाए और सही इलाज लिया जाए, तो यह आसानी से नियंत्रित हो सकता है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पूरी नींद और तनाव से दूरी इस स्थिति में काफी मदद करते हैं। सबसे ज़रूरी है कि झिझक छोड़कर इस बारे में डॉक्टर से खुलकर बात करें, क्योंकि सही परामर्श और सही जीवनशैली से जीवन फिर से सामान्य और संतुष्ट हो सकता है।

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