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दाहिने अंडाशय की गांठ (Right Ovarian Cyst in Hindi)

दाहिने अंडाशय की गांठ (Right Ovarian Cyst in Hindi)

Gynecologist & IVF Specialist, Vinsfertility Hospital 18+ Years Experience • 1,000+ Successful Live Births

आजकल महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें सबसे ज़्यादा अनदेखी की जाने वाली और आम समस्या है — अंडाशय की गांठ (Ovarian Cyst)। खासकर जब ये गांठ दाहिने अंडाशय में बनती है, तो इसे Right Ovarian Cyst कहा जाता है। यह समस्या दिखने में सामान्य लग सकती है, लेकिन समय रहते इसकी पहचान और इलाज ना होने पर यह महिला के स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता दोनों पर गहरा असर डाल सकती है।
इस ब्लॉग में हम इस विषय को बिलकुल सरल भाषा में समझेंगे, ताकि कोई भी महिला या परिवारजन इसे पढ़कर जागरूक हो सके और समय पर उचित कदम उठा सके।
 

दाहिनी ओवरी में गांठ के प्रकार

अंडाशय की गांठें कई प्रकार की हो सकती हैं, जिनमें से कुछ सामान्य और कुछ गंभीर होती हैं:

  1. फॉलिकुलर सिस्ट (Follicular Cyst):
    यह सबसे सामान्य प्रकार की सिस्ट है, जो तब बनती है जब अंडाणु ओवरी से बाहर नहीं निकलता। यह आमतौर पर हानिरहित होती है और कुछ हफ्तों में ठीक हो जाती है।

  2. कॉर्पस ल्यूटियम सिस्ट (Corpus Luteum Cyst):
    अंडाणु के निकलने के बाद जो हिस्सा बचता है, उसमें द्रव भर जाता है और यह सिस्ट बन जाता है। यह भी आमतौर पर खुद ठीक हो जाता है।

  3. डर्मॉइड सिस्ट (Dermoid Cyst):
    यह जटिल सिस्ट होती है, जिसमें बाल, दांत या त्वचा जैसी चीजें हो सकती हैं। यह जन्मजात हो सकती है और अक्सर सर्जरी से हटानी पड़ती है।

  4. एंडोमेट्रियोमा (Endometrioma):
    यह सिस्ट तब बनती है जब गर्भाशय की परत ओवरी में विकसित हो जाती है। इसे "चॉकलेट सिस्ट" भी कहा जाता है, और यह दर्दनाक हो सकती है।

  5. सिस्टएडेनोमा (Cystadenoma):
    यह ओवरी की बाहरी सतह पर बनती है और म्यूकस या पानी से भरी होती है। यह सिस्ट बड़े आकार की हो सकती है और कभी-कभी सर्जरी की जरूरत होती है।

 
 

दाहिनी ओवरी में गांठ बनने के मुख्य कारण

ओवरी में गांठ बनने के कई कारण हो सकते हैं। कुछ प्राकृतिक होते हैं तो कुछ जीवनशैली या हार्मोनल गड़बड़ी से उत्पन्न होते हैं। नीचे हम इन कारणों को विस्तार से समझते हैं:
 
1. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
महिलाओं में ओवरी के सही तरीके से कार्य करने के लिए हार्मोन का संतुलन अत्यंत आवश्यक होता है। जब यह संतुलन बिगड़ता है — जैसे बहुत अधिक एस्ट्रोजन या बहुत कम प्रोजेस्टेरोन — तो फॉलिकल सही तरीके से नहीं फट पाता और सिस्ट बन जाती है।

  • यह किशोरियों और 35 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में ज्यादा देखा जाता है।

  • हार्मोनल असंतुलन अनियमित मासिक धर्म, मुंहासे, वजन बढ़ना और मूड स्विंग्स का कारण भी बन सकता है।

 
2. पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome)
PCOS एक आम समस्या है जिसमें ओवरी में कई छोटी-छोटी गांठें (सिस्ट) बन जाती हैं। इसमें महिला के मासिक धर्म चक्र प्रभावित होता है और अंडाणु नियमित रूप से नहीं बनते।

  • इसके लक्षणों में अनियमित पीरियड्स, चेहरे पर बाल आना, मोटापा और बांझपन शामिल हैं।

  • यह स्थिति लंबे समय तक अनियंत्रित रहे तो टाइप 2 डायबिटीज़, हृदय रोग और गर्भधारण की समस्याएं हो सकती हैं।

 
3. एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)
जब गर्भाशय की अंदरूनी परत ओवरी या पेल्विक क्षेत्र के अन्य हिस्सों में पाई जाती है, तो इसे एंडोमेट्रियोसिस कहा जाता है। यह परत हर महीने मासिक धर्म के समय ब्लीड करती है, जिससे ओवरी पर खून जमा होकर एंडोमेट्रियोमा बन जाता है।

  • यह बहुत दर्दनाक स्थिति होती है, खासकर मासिक धर्म के दौरान।

  • यह बांझपन का एक प्रमुख कारण भी बन सकती है।

 
4. पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज़ (Pelvic Inflammatory Disease - PID)
PID एक तरह का संक्रमण है जो यौन संक्रामक रोगों (STDs) या बैक्टीरियल इंफेक्शन से फैलता है और ओवरी तक पहुंच सकता है। इससे ओवरी में सूजन और सिस्ट बनने की संभावना बढ़ जाती है।

  • यह यौन रूप से सक्रिय महिलाओं में अधिक देखा जाता है।

  • समय रहते इलाज न हो तो यह संक्रमण फैलकर फैलोपियन ट्यूब और यूटेरस तक पहुंच सकता है।

 
5. गर्भावस्था (Pregnancy)
गर्भावस्था के शुरुआती चरण में कई बार कॉर्पस ल्यूटियम सिस्ट बनती है जो गर्भ को बनाए रखने में मदद करती है। यह आमतौर पर हानिरहित होती है और कुछ हफ्तों में खुद ही खत्म हो जाती है।

  • यदि यह सिस्ट बड़ी हो जाए या फट जाए, तो यह दर्द और असहजता का कारण बन सकती है।

  • डॉक्टर की निगरानी में रहना जरूरी होता है।

 

सिस्ट का साइड इफेक्ट क्या होता है?

यदि ओवरी में सिस्ट का इलाज समय पर न हो तो इसके कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं:
1. सिस्ट फटना (Rupture)
यह स्थिति अचानक तेज दर्द और आंतरिक रक्तस्राव का कारण बन सकती है, जो जानलेवा भी हो सकता है।
2. ओवेरियन टॉर्शन
बड़ी सिस्ट ओवरी को अपनी जगह से घुमा सकती है, जिससे ब्लड फ्लो रुक जाता है और ओवरी डैमेज हो सकती है। यह सर्जिकल इमरजेंसी होती है।
3. प्रजनन क्षमता पर असर
कुछ प्रकार की सिस्ट जैसे एंडोमेट्रियोसिस या पीसीओएस, महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं।
4. कैंसर का खतरा
हालांकि दुर्लभ, लेकिन कुछ कॉम्प्लेक्स सिस्ट कैंसर में बदल सकती हैं, विशेषकर मेनोपॉज़ के बाद की महिलाओं में।
 

ओवरी में सिस्ट को कैसे खत्म करें?

ओवरी में सिस्ट को खत्म करने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी होता है कि वह किस प्रकार की सिस्ट है – फंक्शनल या कॉम्प्लेक्स। अधिकतर फंक्शनल सिस्ट अपने आप कुछ हफ्तों या महीनों में बिना किसी इलाज के खत्म हो जाती हैं। लेकिन यदि सिस्ट बड़ी हो जाए, दर्द दे, या कैंसर का शक हो तो इलाज की ज़रूरत पड़ती है। आम तौर पर डॉक्टर सोनोग्राफी द्वारा सिस्ट पर नज़र रखते हैं और यदि सिस्ट में बढ़ोतरी होती है तो हार्मोनल दवाओं या सर्जरी का सहारा लिया जाता है। कुछ घरेलू उपाय जैसे हल्दी वाला दूध, ग्रीन टी, फाइबर युक्त भोजन और गरम पानी की बोतल का उपयोग भी लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है। हालांकि गंभीर मामलों में केवल डॉक्टर द्वारा बताई गई सर्जरी ही कारगर रहती है।
 

सिस्ट की सर्जरी में कितना खर्चा आता है?

ओवरी में सिस्ट के इलाज के लिए यदि सर्जरी की ज़रूरत होती है तो उसका खर्च कई चीज़ों पर निर्भर करता है – जैसे सर्जरी का प्रकार (लैप्रोस्कोपिक या ओपन सर्जरी), अस्पताल का स्तर (सरकारी या निजी), शहर की लोकेशन, डॉक्टर की फीस और हॉस्पिटल में रुकने की अवधि। आम तौर पर लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का खर्च ₹40,000 से ₹1,20,000 के बीच होता है जबकि ओपन सर्जरी का खर्च ₹70,000 से ₹2,00,000 तक हो सकता है। सरकारी अस्पतालों में यह खर्च काफी कम हो सकता है और कई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी भी इसे कवर करती हैं। सर्जरी से पहले डॉक्टर से पूरी जानकारी लेनी चाहिए ताकि सही निर्णय लिया जा सके।
 

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