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PCOD Symptoms in Hindi | कारण और इलाज जानें | पीरियड्स, वजन और प्रेग्नेंसी पर असर

PCOD Symptoms in Hindi | कारण और इलाज जानें | पीरियड्स, वजन और प्रेग्नेंसी पर असर

Gynecologist & IVF Specialist, Vinsfertility Hospital 18+ Years Experience • 1,000+ Successful Live Births

आज के समय में महिलाओं में हार्मोनल समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिनमें से PCOD (Polycystic Ovarian Disease) एक आम समस्या बन चुकी है। जो न सिर्फ पीरियड्स को प्रभावित करती है, बल्कि त्वचा, वजन, गर्भधारण और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालती है। यदि समय रहते इसके लक्षण पहचान लिए जाएं, तो इलाज आसान हो सकता है।
Press Information Bureau (PIB), भारत सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में PCOS/PCOD की प्रचलन दर लगभग 3.7% से 22.5% तक है, जो इसे महिलाओं में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनाता है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि PCOD Symptoms in Hindi क्या होते हैं, किन संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, और किन उपायों से इसे समय पर पहचाना जा सकता है।


PCOD क्या है?

PCOD (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिज़ीज़) एक ऐसी समस्या है, जिसमें महिलाओं की ओवरी (अंडाशय) में छोटे-छोटे सिस्ट यानी गांठें बन जाती हैं। ये गांठें अधूरे अंडाणु होते हैं जो समय पर विकसित नहीं हो पाते, जिससे अंडा बाहर नहीं निकलता और ओवुलेशन नहीं हो पाता। इसके कारण शरीर में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का स्तर बढ़ जाता है और पीरियड्स से जुड़ी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं।
ICMR (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) के अनुसार, PCOS/PCOD (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) भारतीय महिलाओं में प्रजनन क्षमता में कमी का एक प्रमुख कारण है, और यह समस्या युवा महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है।

 

पीसीओडी के सामान्य लक्षण (PCOD Symptoms in Hindi)

PCOD (Polycystic Ovarian Disease) एक ऐसी स्थिति है जो महिलाओं के शरीर को कई तरह से प्रभावित कर सकती है। इसके लक्षण शुरुआत में हल्के हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ गंभीर रूप ले सकते हैं। यहां हम बता रहे हैं इसके मुख्य और आम लक्षण:

  1. अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods)- 
    यह PCOD का सबसे सामान्य लक्षण है। पीरियड्स कई बार 2–3 महीने तक नहीं आते या बहुत ज्यादा आते हैं। इससे महिला की ओवुलेशन प्रक्रिया भी प्रभावित होती है।

  2. वजन बढ़ना (Weight Gain)- 
    PCOD में मेटाबोलिज़्म धीमा हो जाता है, जिससे बिना अधिक खाए भी वजन तेजी से बढ़ सकता है। खासकर पेट और कमर के आसपास चर्बी जमना इसका संकेत हो सकता है।

  3. चेहरे और शरीर पर बाल बढ़ना (Hirsutism)- 
    एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) के बढ़ने से चेहरे, छाती, पेट और पीठ पर मोटे, गहरे बाल उगने लगते हैं, जो महिलाओं के लिए चिंता का कारण बन सकते हैं।

  4. मुंहासे और तैलीय त्वचा (Acne & Oily Skin)- 
    PCOD के कारण हार्मोनल बदलाव त्वचा को अधिक ऑइली बना देते हैं, जिससे चेहरे, पीठ और छाती पर बार-बार मुंहासे निकल सकते हैं।

  5. गर्भधारण में कठिनाई (Infertility)- 
    PCOD से पीड़ित महिलाओं में नियमित ओवुलेशन नहीं होता, जिससे प्रेग्नेंसी प्लान करना कठिन हो जाता है। यह समस्या इलाज से नियंत्रित की जा सकती है।

  6. बाल झड़ना या पतले होना (Hair Fall or Thinning Hair)- 
    PCOD के कारण सिर के बाल तेजी से झड़ सकते हैं या पतले हो सकते हैं, जिससे हेयरलाइन पर असर पड़ता है और गंजापन जैसी स्थिति बन सकती है।

  7. मूड स्विंग और तनाव (Mood Swings & Depression)- 
    हार्मोनल असंतुलन के चलते कई बार भावनात्मक अस्थिरता आती है — जैसे चिड़चिड़ापन, उदासी, बेचैनी या डिप्रेशन जैसा महसूस होना।


पीसीओडी के कारण (Causes of PCOD)

PCOD (Polycystic Ovarian Disease) एक जटिल हार्मोनल समस्या है, जो कई कारणों से हो सकती है। नीचे हम उन मुख्य कारणों की चर्चा कर रहे हैं जो PCOD को जन्म देते हैं:
  1. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
    PCOD की सबसे बड़ी वजह शरीर में हार्मोन का असंतुलन है। इसमें पुरुष हार्मोन एंड्रोजन का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है, जिससे ओवुलेशन बाधित होता है और सिस्ट बनने लगते हैं।

  2. तनावपूर्ण जीवनशैली (Stressful Lifestyle)
    आजकल की तेज़ और अनियमित जीवनशैली — जैसे नींद की कमी, अत्यधिक काम का बोझ, और शारीरिक गतिविधि की कमी — महिलाओं के हार्मोन पर सीधा असर डालती है और PCOD का खतरा बढ़ा देती है।

  3. अनुवांशिक कारण (Genetic Factors)
    अगर आपकी माँ, बहन या परिवार की किसी महिला को PCOD है, तो आपके पीसीओडी से प्रभावित होने की संभावना ज्यादा हो सकती है। यह समस्या पीढ़ी दर पीढ़ी भी चल सकती है।

  4. इन्सुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance)
    PCOD से पीड़ित महिलाओं के शरीर में अक्सर इन्सुलिन ठीक से काम नहीं करता, जिससे शुगर का स्तर नियंत्रित नहीं रह पाता। इससे शरीर में एंड्रोजन का स्तर और भी बढ़ जाता है, जो समस्या को और गंभीर बना सकता है।

  5. मोटापा (Obesity)
    अधिक वजन या मोटापा PCOD को और खराब कर सकता है। मोटापे के कारण हार्मोनल बैलेंस बिगड़ता है और ओवुलेशन प्रभावित होता है। खासकर पेट के आसपास जमा फैट अधिक हानिकारक माना जाता है।

 
PCOD के लक्षण कब शुरू होते हैं?

अधिकतर मामलों में PCOD के लक्षण किशोरावस्था (15–20 वर्ष) में पीरियड्स शुरू होने के कुछ वर्षों बाद दिखने लगते हैं। लेकिन कई बार ये लक्षण 25–30 की उम्र में भी सामने आते हैं।
 

PCOD की जांच कैसे होती है?

अगर आप PCOD के 2 या उससे अधिक लक्षण अनुभव कर रही हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है। सही समय पर जांच से इसका इलाज आसान हो सकता है। नीचे कुछ मुख्य जांचें दी गई हैं जो PCOD की पुष्टि में मदद करती हैं:
  1. अल्ट्रासाउंड (Pelvic Ultrasound)- यह जांच ओवरी में मौजूद सिस्ट (ग्रंथियों) की स्थिति देखने के लिए की जाती है। पेट के ऊपर से किया जाने वाला अल्ट्रासाउंड ओवरी के आकार और सिस्ट की जानकारी देता है।

  2. ब्लड टेस्ट (Hormonal Blood Tests)- रक्त की जांच के ज़रिए शरीर में हार्मोन स्तर (जैसे टेस्टोस्टेरोन, LH, FSH, प्रोलैक्टिन) और ब्लड शुगर की मात्रा मापी जाती है। इससे हार्मोनल असंतुलन की पुष्टि होती है।

  3. BMI और ब्लड प्रेशर चेक- शरीर का वजन, Body Mass Index (BMI) और रक्तचाप मापा जाता है ताकि यह समझा जा सके कि मोटापा या हाई ब्लड प्रेशर समस्या को कितना प्रभावित कर रहे हैं।

 

पीसीओडी का इलाज कैसे करें? (PCOD Treatment in Hindi)

हालाँकि PCOD/PCOS का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन WHO की रिपोर्ट के अनुसार जीवनशैली में सुधार, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और फर्टिलिटी ट्रीटमेंट जैसे IVF की मदद से इसके लक्षणों को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।


जीवनशैली में बदलाव

  • नियमित व्यायाम करें (30-45 मिनट वॉक/योगा)

  • समय पर सोएं और तनाव से दूर रहें

संतुलित आहार लें

  • कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Low GI) वाले भोजन जैसे ब्राउन राइस, ओट्स

  • मीठा और जंक फूड कम करें

  • हरी सब्जियां, फल और प्रोटीन युक्त आहार लें

दवाएं और हार्मोनल ट्रीटमेंट

  • डॉक्टर की सलाह से ही दवाएं लें

  • अगर आप गर्भधारण की योजना बना रही हैं, तो फर्टिलिटी एक्सपर्ट से संपर्क करें
     

पीसीओडी के लिए घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय

  • मेथी दाना पानी सुबह खाली पेट पिएं

  • अश्वगंधा, शतावरी और त्रिफला का सेवन

  • हर दिन 10 मिनट ध्यान और प्राणायाम करें

 

पीसीओडी में प्रेगनेंसी संभव है?

हाँ, सही इलाज , नियमित ओवुलेशन ट्रैकिंग, संतुलित वजन और डॉक्टर की सलाह से PCOD में गर्भधारण संभव है। IVF और IUI जैसे उपचार प्रभावी हैं।
American Society for Reproductive Medicine (ASRM) की 2023 की International Evidence–Based Guideline रिपोर्ट के अनुसार, जीवनशैली में सुधार, फर्टिलिटी मेडिसिन और सहायक प्रजनन तकनीकों (जैसे IVF/IUI) के संयोजन से PCOS से ग्रस्त महिलाएं सफल गर्भधारण कर सकती हैं और अच्छे स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त कर सकती हैं

 

निष्कर्ष (Conclusion)

PCOD एक आम लेकिन गंभीर हार्मोनल समस्या है, जो महिलाओं के पीरियड्स, त्वचा, वजन, मानसिक स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। अनियमित पीरियड्स, मुंहासे, वजन बढ़ना और बाल झड़ना जैसे लक्षण अगर लगातार दिख रहे हों, तो उन्हें हल्के में न लें। PCOD के लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है, ताकि समय रहते इलाज शुरू किया जा सके।समय पर पहचान और सही जांच से इसका इलाज पूरी तरह से संभव है। यदि आप गर्भधारण की योजना बना रही हैं और PCOD के कारण कठिनाई आ रही है, तो IVF या IUI जैसे फर्टिलिटी उपचार मददगार साबित हो सकते हैं।
 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. क्या हर अनियमित पीरियड्स PCOD का संकेत होते हैं?

हर बार नहीं, लेकिन लगातार अनियमित पीरियड्स PCOD की जांच का कारण हो सकते हैं।


2. क्या वजन घटाने से PCOD के लक्षण कम हो सकते हैं?

हां, हेल्दी वजन बनाए रखने से कई लक्षणों में सुधार हो सकता है।


3. क्या PCOD में प्रेग्नेंसी संभव है?

संभव है, लेकिन इसके लिए सही इलाज और लाइफस्टाइल बदलाव जरूरी हैं।


4. PCOD में किस प्रकार की डाइट लाभकारी होती है?

लो-कार्ब, हाई-फाइबर, और प्रोटीन युक्त डाइट फायदेमंद होती है।


5. PCOD के शुरुआती लक्षण क्या होते हैं?

PCOD के शुरुआती लक्षणों में अनियमित पीरियड्स, पिंपल्स और वजन बढ़ना शामिल हैं।


6. क्या PCOD की बीमारी ठीक हो सकती है?

हां, जीवनशैली में बदलाव, सही खानपान और डॉक्टर की सलाह से PCOD को नियंत्रित किया जा सकता है।


7. क्या PCOD और PCOS एक ही हैं?

नहीं, दोनों में थोड़ा अंतर है। PCOD अधिक सामान्य है जबकि PCOS अधिक गंभीर हार्मोनल स्थिति हो सकती है।


8. PCOD के लिए कौन-सी जांच करानी चाहिए?

अल्ट्रासाउंड, हार्मोनल ब्लड टेस्ट (LH, FSH, Insulin आदि) जरूरी हैं।

 

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