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बच्चेदानी का मुंह कैसा होता है | Cervix Meaning in Hindi | गर्भाशय की बनावट और कार्य

बच्चेदानी का मुंह कैसा होता है | Cervix Meaning in Hindi | गर्भाशय की बनावट और कार्य

Gynecologist & IVF Specialist, Vinsfertility Hospital 18+ Years Experience • 1,000+ Successful Live Births

महिलाओं की प्रजनन प्रणाली  बेहद जटिल और संवेदनशील होती है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है बच्चेदानी (Uterus) — जहां गर्भधारण की प्रक्रिया होती है। लेकिन बहुत-सी महिलाओं को यह नहीं पता होता कि बच्चेदानी का मुंह यानी गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) क्या होता है, इसका आकार कैसा होता है, और यह कब व कैसे बदलता है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि बच्चेदानी का मुंह कैसा होता है, इसके प्रकार, इसके कार्य और इससे जुड़ी सामान्य समस्याएं क्या होती हैं।

बार-बार गर्भधारण में समस्या होने पर कई परिवारों के लिए भारत में सरोगेसी की लागत और बैंगलोर में सरोगेसी की लागत जानना जरूरी हो जाता है, ताकि वे अपने पैरेंटहुड के सपने सुरक्षित और सही तरीके से पूरा कर सकें।

बच्चेदानी क्या है?

बच्चेदानी, जिसे अंग्रेज़ी में Uterus कहा जाता है, एक नाशपाती के आकार का नरम और खोखला अंग होता है, जो महिला के शरीर के निचले हिस्से में स्थित रहता है। यही वह जगह है जहाँ एक नया जीवन यानी बच्चा बढ़ता और विकसित होता है।
बच्चेदानी तीन मुख्य हिस्सों में बंटी होती है –

  1. फंडस– यह बच्चेदानी का ऊपरी हिस्सा होता है, जो गोलाकार होता है।

  2. बॉडी– यह बीच का हिस्सा होता है, जहाँ गर्भ ठहरता है और बच्चा धीरे-धीरे बढ़ता है।

  3. सर्विक्स  – यह बच्चेदानी का निचला हिस्सा होता है, जिसे आम भाषा में बच्चेदानी का मुंह” कहा जाता है। यह हिस्सा योनि (Vagina) से जुड़ा होता है और गर्भाशय को शरीर के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।


बच्चेदानी का कार्य

गर्भाशय का मुख्य कार्य नए जीवन को जन्म देने में सहायता करना है। लेकिन इसके अलावा भी इसके कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य हैं:

  • मासिक धर्म का नियंत्रण: हर महीने गर्भाशय की दीवार मोटी होती है ताकि निषेचित अंडाणु वहाँ ठहर सके। अगर गर्भ न बने, तो यही परत टूटकर मासिक धर्म के रूप में बाहर आती है।

  • गर्भधारण में सहायता: निषेचित अंडा गर्भाशय की दीवार में जाकर चिपक जाता है और वहीं से बच्चे का विकास शुरू होता है।

  • प्रसव के समय भूमिका: प्रसव (डिलीवरी) के समय गर्भाशय की मांसपेशियाँ सिकुड़ती हैं और बच्चे को बाहर आने में मदद करती हैं।

  • हार्मोनल संतुलन बनाए रखना: गर्भाशय से जुड़े हार्मोन महिला के शरीर में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

 

बच्चेदानी का मुंह (Cervix) क्या होता है?

बच्चेदानी का मुंह, जिसे गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) कहा जाता है, बच्चेदानी और योनि के बीच का हिस्सा होता है। यह एक छोटा, संकीर्ण और लचीला द्वार जैसा होता है, जो महिला के शरीर में कई ज़रूरी काम करता है।यह हिस्सा बहुत नाजुक होता है, लेकिन इसका काम बहुत महत्वपूर्ण होता है। बच्चेदानी का मुंह महिलाओं के प्रजनन तंत्र को सही ढंग से काम करने में मदद करता है।

बच्चेदानी के मुंह के मुख्य काम:

  1. पीरियड्स के समय: यह खुल जाता है ताकि मासिक धर्म का रक्त आसानी से बाहर निकल सके।

  2. गर्भधारण के समय: यह शुक्राणुओं (Sperms) को गर्भाशय तक पहुँचने में मदद करता है, जिससे गर्भ ठहरने की संभावना बनती है।

  3. प्रेगनेंसी के दौरान: यह पूरी तरह बंद रहता है ताकि बच्चा सुरक्षित रहे और बाहर न आए।

  4. डिलीवरी के समय: जब प्रसव का समय आता है, तब यही हिस्सा धीरे-धीरे खुलता है ताकि बच्चा बाहर आ सके।


बच्चेदानी के मुंह (Cervix) का आकार और बनावट

बच्चेदानी का मुंह गोलाकार या बेलनाकार होता है, जिसकी लंबाई लगभग 2.5 से 3.5 सेंटीमीटर तक होती है। इसका बाहरी हिस्सा योनि की ओर खुला होता है जिसे “External Os” कहा जाता है और अंदरूनी हिस्सा गर्भाशय की ओर खुला होता है जिसे “Internal Os” कहा जाता है।

सामान्य स्थिति में बच्चेदानी के मुंह की बनावट:

  • चिकना और मजबूत ऊतक (muscular tissue)

  • बीच में एक छोटा छेद जो मासिक धर्म का रक्त बाहर निकालता है

  • प्रजनन चक्र के अनुसार इसमें लचीलापन आता-जाता रहता है

 

पीरियड्स के समय बच्चेदानी के मुंह (Cervix) में बदलाव

महिलाओं के मासिक धर्म चक्र  के दौरान बच्चेदानी का मुंह यानी Cervix हर चरण में थोड़ा-थोड़ा बदलता रहता है। यह बदलाव शरीर को गर्भधारण और प्रजनन के लिए तैयार करने में मदद करता है।

पीरियड्स के समय:

इस दौरान बच्चेदानी का मुंह थोड़ा खुला रहता है ताकि मासिक धर्म का रक्त आसानी से बाहर निकल सके।

  • इसका स्पर्श थोड़ा कठोर होता है।

  • यह नीचे की ओर स्थित रहता है।

  • पीरियड्स खत्म होते ही यह धीरे-धीरे फिर से बंद हो जाता है।

ओव्यूलेशन के समय:

जब ओव्यूलेशन यानी अंडाणु निकलने का समय आता है, तब बच्चेदानी का मुंह बदल जाता है —

  • यह थोड़ा ऊपर उठ जाता है।

  • मुलायम हो जाता है।

  • थोड़ा खुला रहता है ताकि शुक्राणु आसानी से गर्भाशय तक पहुँच सकें। यह समय गर्भधारण के लिए सबसे अनुकूल होता है।

 

गर्भधारण के समय बच्चेदानी का मुंह (Cervix)  कैसा होता है?

जब महिला गर्भवती हो जाती है, तब बच्चेदानी का मुंह पूरी तरह बंद हो जाता है ताकि भ्रूण सुरक्षित रह सके।

  • यह हिस्सा मजबूत और सख्त बन जाता है।

  • गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में यह पूरी तरह सील रहता है, जिससे किसी भी संक्रमण या बाहरी दबाव से गर्भ को नुकसान न पहुँचे।

  • जैसे-जैसे डिलीवरी का समय नज़दीक आता है, बच्चेदानी का मुंह धीरे-धीरे नरम होकर खुलने लगता है।

 

डिलीवरी के समय बच्चेदानी का मुंह (Cervix) कैसे खुलता है?

जब प्रसव का समय आता है, तो बच्चेदानी का मुंह धीरे-धीरे खुलता है — इसे सर्विकल डाइलेशन कहा जाता है।
गर्भाशय की मांसपेशियाँ सिकुड़ती हैं, जिससे यह खुलना शुरू होता है। डॉक्टर इस प्रक्रिया को “सेमी (cm)” में नापते हैं:

  • 1 से 3 सेमी: शुरुआती लेबर (Early Labor)

  • 4 से 7 सेमी: सक्रिय लेबर (Active Labor)

  • 8 से 10 सेमी: पूर्ण डाइलेशन — यानी अब बच्चा जन्म लेने के लिए तैयार होता है।

 

गर्भाशय की समस्या के लक्षण

कई बार महिलाओं को गर्भाशय से जुड़ी समस्याएँ होती हैं, लेकिन वे उन्हें नज़रअंदाज़ कर देती हैं। नीचे कुछ सामान्य लक्षण दिए गए हैं, जिन पर ध्यान देना चाहिए:

  1. अनियमित पीरियड्स

  2. बहुत ज़्यादा या बहुत कम ब्लीडिंग

  3. पेट या पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द

  4. सफेद पानी का अधिक आना या बदबूदार डिस्चार्ज

  5. संभोग के दौरान दर्द

  6. गर्भधारण में दिक्कतें

  7. कमज़ोरी और चक्कर आना

अगर इनमें से कोई लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो तुरंत किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
 

गर्भाशय की आम बीमारियाँ

गर्भाशय से जुड़ी कुछ आम बीमारियाँ होती हैं जिनके बारे में हर महिला को जानकारी होनी चाहिए:

  1. फाइब्रॉयडये गर्भाशय में बनने वाले छोटे-छोटे गाँठ जैसे ट्यूमर होते हैं, जो कभी-कभी दर्द या भारी ब्लीडिंग का कारण बनते हैं।

  2. एंडोमेट्रियोसिस- इसमें गर्भाशय की अंदरूनी परत (एंडोमेट्रियम) बाहर की ओर बढ़ने लगती है, जिससे दर्द और अनियमित पीरियड्स हो सकते हैं।

  3. गर्भाशय में इंफेक्शन- असुरक्षित संबंध या साफ-सफाई की कमी से गर्भाशय में संक्रमण हो सकता है।

  4. सर्वाइकल कैंसरयह गर्भाशय के मुँह (सर्विक्स) में होने वाला कैंसर है। यह अक्सर HPV वायरस के कारण होता है। इसका समय पर टीकाकरण (HPV Vaccine) बहुत ज़रूरी है।

  5. पॉलिप्स- गर्भाशय की अंदरूनी परत में बनने वाले छोटे मांसल टुकड़े, जो ब्लीडिंग का कारण बन सकते हैं।


गर्भाशय की देखभाल कैसे करें

स्वस्थ गर्भाशय के लिए कुछ आदतें बहुत ज़रूरी हैं। यहाँ कुछ आसान उपाय दिए गए हैं:

  1. संतुलित आहार लें: हरी सब्ज़ियाँ, फल, सूखे मेवे, और प्रोटीन से भरपूर भोजन करें।

  2. पानी ज़्यादा पिएँ: शरीर में टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है।

  3. नियमित व्यायाम करें: योग और हल्के व्यायाम गर्भाशय की मांसपेशियों को मज़बूत बनाते हैं।

  4. साफ-सफाई का ध्यान रखें: निजी अंगों की सफ़ाई बहुत ज़रूरी है, खासकर पीरियड्स के दिनों में।

  5. तनाव कम करें: स्ट्रेस हार्मोनल बैलेंस को बिगाड़ सकता है। ध्यान और मेडिटेशन से राहत मिलती है।

  6. समय पर जांच कराएँ: हर साल एक बार पेल्विक अल्ट्रासाउंड या Pap Smear Test करवाना चाहिए।

 

गर्भाशय को मज़बूत बनाने के घरेलू उपाय

  1. अशोक का पेड़ की छाल: यह गर्भाशय की कमजोरी दूर करने में मदद करती है।

  2. मेथी के दाने: पीरियड्स के दर्द में राहत देते हैं।

  3. गुड़ और सौंफ: मासिक धर्म को नियमित करते हैं।

  4. एलोवेरा जूस: हार्मोनल संतुलन बनाए रखता है।

  5. हल्दी वाला दूध: संक्रमण और सूजन को कम करता है।

  6. ध्यान और योग – मानसिक तनाव घटाता है और हार्मोन संतुलन रखता है।

 

गर्भाशय और गर्भधारण

गर्भाशय ही वह स्थान है जहाँ एक निषेचित अंडाणु जाकर बच्चे का रूप लेता है। अगर गर्भाशय स्वस्थ न हो, तो गर्भधारण में दिक्कतें आ सकती हैं। इसलिए, फर्टिलिटी प्लान करने वाली महिलाओं को पहले से गर्भाशय की सेहत पर ध्यान देना चाहिए।
 

यदि बार-बार गर्भपात हो रहा है और प्राकृतिक गर्भधारण मुश्किल हो रहा है, तो IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक प्रभावी विकल्प हो सकता है। ऐसे में, सही क्लिनिक चुनना और दिल्ली में IVF की लागत और रांची में IVF की लागत। की जानकारी लेना आपके लिए मददगार रहेगा।

 

महिलाओं को कब डॉक्टर से मिलना चाहिए?

यदि नीचे दिए गए लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है:

  • लगातार पेट दर्द या ब्लीडिंग

  • पीरियड्स के बीच में स्पॉटिंग

  • गर्भधारण में कठिनाई

  • असामान्य डिस्चार्ज या बदबू

  • कमजोरी, थकान, या चक्कर

स्रोत

निष्कर्ष

बच्चेदानी का मुंह (Cervix) महिलाओं की प्रजनन प्रणाली का एक अहम हिस्सा है जो हर जैविक प्रक्रिया पीरियड्स, गर्भधारण और प्रसव — में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी सही जानकारी होना हर महिला के लिए आवश्यक है ताकि वह अपने शरीर के बदलावों को समझ सके और किसी भी समस्या पर समय रहते कार्रवाई कर सके। महिलाओं को चाहिए कि वे अपने शरीर के संकेतों पर ध्यान दें, नियमित जांच कराएं और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।
स्वस्थ बच्चेदानी ही स्वस्थ जीवन और मातृत्व का आधार है।


FAQs – बच्चेदानी और गर्भाशय से जुड़े आम सवाल

1. पीरियड के बाद बच्चेदानी का मुँह कितने समय तक खुला रहता है?
पीरियड खत्म होने के तुरंत बाद गर्भाशय का मुँह (सर्विक्स) कुछ समय के लिए थोड़ा खुला रहता है ताकि रक्त का प्रवाह पूरी तरह साफ हो सके। आमतौर पर यह 1–2 दिन में फिर से बंद हो जाता है।

2.बच्चेदानी कैसी दिखती है?
बच्चेदानी एक छोटी, नाशपाती के आकार की थैली जैसी होती है, जो महिला के पेल्विक क्षेत्र में स्थित होती है। इसका रंग हल्का गुलाबी होता है और यह तीन परतों से बनी होती है।

3. बच्चेदानी का मुँह टेढ़ा क्यों होता है?
कई महिलाओं में गर्भाशय स्वाभाविक रूप से थोड़ा झुका हुआ (टेढ़ा) होता है, जो सामान्य बात है। यह शरीर की संरचना पर निर्भर करता है और इससे आमतौर पर कोई दिक्कत नहीं होती।

4. बच्चेदानी का मुँह डिलीवरी के कितने दिन पहले खुलता है?
डिलीवरी से कुछ दिन पहले गर्भाशय का मुँह धीरे-धीरे नरम और खुलने लगता है। प्रसव के समय यह लगभग 10 सेंटीमीटर तक खुलता है ताकि बच्चा बाहर आ सके।

5. अगर गर्भाशय डिलीवरी के लिए नहीं खुल रहा है तो क्या होगा?
अगर गर्भाशय का मुँह पर्याप्त नहीं खुलता, तो डॉक्टर दवाओं या इंजेक्शन से उसे खोलने में मदद करते हैं। यदि फिर भी खुलने में दिक्कत हो, तो सी-सेक्शन (C-section) डिलीवरी की जाती है।

6. सर्विक्स का मतलब क्या होता है?
सर्विक्स (Cervix) या बच्चेदानी का मुंह, गर्भाशय और योनि को जोड़ने वाला निचला हिस्सा है। यह मासिक धर्म, प्रेगनेंसी और डिलीवरी में अहम भूमिका निभाता है।

7. Normal delivery के लिए सर्विक्स कितना होना चाहिए?
Normal delivery के लिए सर्विक्स लगभग 10 सेंटीमीटर तक खुलना चाहिए, तभी प्रसव संभव होता है।

8. गर्भाशय ग्रीवा का कार्य क्या है?
गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय और योनि को जोड़ती है, मासिक धर्म में रक्त निकालती है और प्रसव में फैलकर बच्चे को जन्म देती है।

9. सर्विक्स का क्या अर्थ है?
सर्विक्स का अर्थ है बच्चेदानी का निचला हिस्सा जो गर्भाशय को योनि से जोड़ता है और महिला प्रजनन स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

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