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​पुरुष का स्पर्म कितना होना चाहिए जिससे बच्चा ठहर सकता है?

​पुरुष का स्पर्म कितना होना चाहिए जिससे बच्चा ठहर सकता है?

गर्भधारण के लिए पुरुष और महिला दोनों की प्रजनन क्षमता का स्वस्थ होना आवश्यक है। पुरुष की प्रजनन क्षमता मुख्यतः उनके शुक्राणु (स्पर्म) की संख्या, गुणवत्ता और गतिशीलता पर निर्भर करती है। बच्चा ठहरने में शुक्राणु की सही मात्रा और गुणवत्ता का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इस ब्लॉग में हम यह जानेंगे कि स्वस्थ गर्भधारण के लिए पुरुष का स्पर्म कितना होना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।


स्पर्म की सामान्य संख्या (Normal Sperm Count Kitna Hona Chahiye)

स्वस्थ पुरुष में शुक्राणु की सामान्य संख्या गर्भधारण की संभावना को बढ़ाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, स्वस्थ पुरुष में प्रति मिलिलीटर वीर्य में कम से कम 15 मिलियन शुक्राणु होने चाहिए।
  • प्रति मिलिलीटर शुक्राणु की संख्या: 15 मिलियन या उससे अधिक
  • कुल शुक्राणु की संख्या: 39 मिलियन या उससे अधिक
यदि शुक्राणु की संख्या 15 मिलियन प्रति मिलिलीटर से कम होती है, तो इसे ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) कहा जाता है। ऐसी स्थिति में गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है।

शुक्राणु की गुणवत्ता और गतिशीलता (Sperm Quality and Motility)

सिर्फ शुक्राणु की संख्या ही नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता और गतिशीलता भी गर्भधारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  1. गतिशीलता (Motility): शुक्राणु का गतिशील होना जरूरी है, ताकि वह महिला के अंडाणु तक आसानी से पहुंच सके। सामान्य तौर पर, 40 प्रतिशत से अधिक गतिशील शुक्राणु गर्भधारण में सहायक होते हैं।
  2. आकार (Morphology): स्वस्थ शुक्राणु का आकार सामान्य होना चाहिए। यदि शुक्राणु का आकार असामान्य है, तो यह अंडाणु तक पहुंचने और निषेचन में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
  3. शुक्राणु की जीवन अवधि: शुक्राणु महिला के गर्भाशय में 3 से 5 दिन तक जीवित रह सकते हैं। इस अवधि में यदि अंडाणु उपलब्ध होता है तो निषेचन संभव हो जाता है।

बच्चा ठहरने के लिए न्यूनतम स्पर्म काउंट (Minimum Sperm Count for Pregnancy)

सामान्य गर्भधारण के लिए शुक्राणु की सही संख्या और गुणवत्ता का होना आवश्यक है। हालांकि, 15 मिलियन से कम शुक्राणु की संख्या होने पर भी गर्भधारण संभव है, लेकिन यह कठिन हो सकता है।
  • 10 मिलियन से कम स्पर्म काउंट: गर्भधारण की संभावना बहुत कम हो जाती है।
  • 5 मिलियन से कम स्पर्म काउंट: प्राकृतिक गर्भधारण लगभग असंभव हो जाता है और आईवीएफ (IVF) जैसी उन्नत तकनीकों की आवश्यकता होती है।
यदि शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता सामान्य नहीं है तो चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

कम स्पर्म काउंट के कारण (Causes of Low Sperm Count)

कम शुक्राणु संख्या के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
  1. हार्मोनल असंतुलन: टेस्टोस्टेरोन और अन्य हार्मोन में असंतुलन शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकता है।
  2. धूम्रपान और शराब का सेवन: अधिक धूम्रपान और शराब का सेवन शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या को कम करता है।
  3. तनाव और अवसाद: मानसिक तनाव और चिंता से हार्मोन का स्तर प्रभावित होता है, जिससे शुक्राणु की संख्या में कमी आती है।
  4. अत्यधिक गर्मी और टाइट कपड़े: गर्मी और टाइट अंडरवियर पहनने से अंडकोष का तापमान बढ़ जाता है, जिससे शुक्राणु उत्पादन प्रभावित होता है।
  5. संक्रमण और संक्रमणजनित रोग: गुप्तांग संक्रमण और यौन संचारित रोग (STD) शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं।

शुक्राणु की गुणवत्ता बढ़ाने के उपाय (How to Improve Sperm Count and Quality)

शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता में सुधार के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव और उचित पोषण जरूरी है।
  1. आहार और पोषण:

    • विटामिन C, विटामिन E और जिंक जैसे एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर भोजन करें।
    • फोलिक एसिड और ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करता है।
  2. लाइफस्टाइल में सुधार:

    • धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करें।
    • नियमित व्यायाम करें और वजन को संतुलित बनाए रखें।
    • तनाव को नियंत्रित करें और अच्छी नींद लें।
  3. दवाइयां और सप्लीमेंट:

    • डॉक्टर द्वारा सुझाए गए फर्टिलिटी सप्लीमेंट और उपचार लें।
    • गंभीर स्थिति में आईवीएफ (IVF) या अन्य चिकित्सा विकल्प अपनाएं। 

शुक्राणु की जांच और परीक्षण (Semen Analysis Test and Diagnosis)

यदि गर्भधारण में देरी हो रही हो, तो पुरुष को सीमन एनालिसिस टेस्ट (Semen Analysis Test) करवाना चाहिए। यह टेस्ट वीर्य में शुक्राणु की संख्या, गतिशीलता और गुणवत्ता का विश्लेषण करता है।
सीमन एनालिसिस के मुख्य पैरामीटर:
  • शुक्राणु की संख्या (Sperm Count)
  • गतिशीलता (Motility)
  • आकार (Morphology)
  • शुक्राणु की जीवित रहने की क्षमता (Viability)
टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर उचित उपचार की सलाह देते हैं।

कब डॉक्टर से संपर्क करें? (When to Consult a Doctor?)

अगर निम्नलिखित स्थितियां उत्पन्न हो रही हों, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए:
  1. 1 वर्ष तक नियमित प्रयास करने के बाद भी गर्भधारण न हो।
  2. बार-बार गर्भपात होने की समस्या हो।
  3. टेस्ट रिपोर्ट में शुक्राणु की संख्या या गुणवत्ता में कमी दिखाई दे।

निष्कर्ष

पुरुष की प्रजनन क्षमता स्वस्थ शुक्राणु की संख्या, गुणवत्ता और गतिशीलता पर निर्भर करती है। सामान्य गर्भधारण के लिए शुक्राणु की न्यूनतम संख्या 15 मिलियन प्रति मिलिलीटर या उससे अधिक होनी चाहिए। शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी होने पर जीवनशैली में बदलाव और सही पोषण से इसे बेहतर बनाया जा सकता है। यदि प्रयासों के बावजूद गर्भधारण नहीं हो रहा हो तो डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. कम स्पर्म काउंट होने पर गर्भधारण संभव है?
हां, लेकिन कम स्पर्म काउंट की स्थिति में गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में आईवीएफ या अन्य तकनीकों की मदद ली जा सकती है।
2. शुक्राणु की जांच कब करानी चाहिए?
यदि 1 वर्ष तक प्रयास करने के बाद भी गर्भधारण न हो तो सीमन एनालिसिस टेस्ट करवाना चाहिए।
3. शुक्राणु की गुणवत्ता सुधारने में कितना समय लगता है?
सही आहार और जीवनशैली अपनाने के बाद 2-3 महीनों में शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार आ सकता है।
4. शुक्राणु की गतिशीलता और गर्भधारण में क्या संबंध है?
गतिशील शुक्राणु महिला के अंडाणु तक पहुंचकर निषेचन की प्रक्रिया को सफल बनाते हैं। गतिशीलता कम होने से गर्भधारण की संभावना घट जाती है।
5. कम स्पर्म काउंट के लिए घरेलू उपाय क्या हैं?
धूम्रपान, शराब और तनाव से बचाव, पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।
 

Dr sunita singh Rathour

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