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Ovulation Meaning in Hindi  (ओव्यूलेशन का मतलब क्या होता है?)

Ovulation Meaning in Hindi (ओव्यूलेशन का मतलब क्या होता है?)

Gynecologist & IVF Specialist, Vinsfertility Hospital 18+ Years Experience • 1,000+ Successful Live Births

हर महिला के जीवन में कुछ ऐसे शारीरिक बदलाव होते हैं जो सीधे तौर पर उसकी प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण बदलाव है "ओव्यूलेशन"। हालांकि कई बार महिलाएं इस शब्द को सुनती हैं लेकिन पूरी तरह इसे समझ नहीं पातीं। यह लेख खासतौर पर उन महिलाओं के लिए है जो गर्भधारण की योजना बना रही हैं या अपने मासिक धर्म चक्र (menstrual cycle) को बेहतर तरीके से जानना चाहती हैं। यहां हम विस्तार से जानेंगे कि ओव्यूलेशन क्या होता है, यह कब होता है, इससे जुड़े लक्षण क्या होते हैं, और कैसे यह गर्भधारण की संभावना को प्रभावित करता है।
 

ओव्यूलेशन कब होता है? 

ओव्यूलेशन आमतौर पर महिलाओं के मासिक धर्म चक्र के 14वें दिन के आस-पास होता है, अगर उनका चक्र 28 दिन का है। इसका मतलब है कि महिला के अगले पीरियड्स (मासिक धर्म) से लगभग 12 से 16 दिन पहले ओव्यूलेशन होता है। उदाहरण के लिए, यदि आपका मासिक धर्म चक्र 28 दिन का है, तो ओव्यूलेशन आमतौर पर 14वें दिन होता है, और यह समय गर्भधारण के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
हालांकि, हर महिला का चक्र एक जैसा नहीं होता, और यह सामान्य बात है कि महिलाओं का चक्र 30, 25, 32, या 35 दिन भी हो सकता है। ऐसे में ओव्यूलेशन का समय भी थोड़ा भिन्न हो सकता है। कुछ महिलाएं जल्दी ओव्यूलेट करती हैं (जैसे 11-12 दिन में), जबकि कुछ महिलाएं बाद में (16-17 दिन में) ओव्यूलेट कर सकती हैं। इसीलिए ओव्यूलेशन का सही समय जानने के लिए प्रत्येक महिला को अपने मासिक चक्र की विशेषताओं को समझना जरूरी होता है।

ओव्यूलेशन क्यों महत्वपूर्ण है?

  • अगर आप गर्भवती (Pregnant) होने की कोशिश कर रही हैं, तो ओव्यूलेशन के आसपास के दिन सबसे उपयुक्त होते हैं।

  • अगर आप प्रेग्नेंसी से बचना चाहती हैं, तो ओव्यूलेशन के समय सावधानी बरतना ज़रूरी है।

 

ओव्यूलेशन होने के कारण  

ओव्यूलेशन न होना, जिसे Anovulation कहा जाता है, तब होता है जब महिला के अंडाशय से अंडाणु का उत्सर्जन नहीं होता। यह स्थिति कई कारणों से हो सकती है। जब ओव्यूलेशन नहीं होता, तो गर्भधारण की संभावना बेहद कम हो जाती है, क्योंकि बिना अंडाणु के शुक्राणु से निषेचन (fertilization) संभव नहीं है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख कारण:
1. PCOS (Polycystic Ovary Syndrome)
PCOS एक आम हार्मोनल विकार है जिसमें अंडाशय में छोटे, विकसित न होने वाले अंडाणु जमा हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, महिला का ओव्यूलेशन नियमित नहीं हो पाता। PCOS में महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, चेहरे पर अत्यधिक बाल और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं होती हैं।
2. थायरॉइड विकार (Thyroid Disorders)
थायरॉइड ग्लैंड का असंतुलन भी ओव्यूलेशन को प्रभावित कर सकता है। अगर थायरॉइड हार्मोन का उत्पादन अधिक या कम हो, तो यह मासिक धर्म चक्र को प्रभावित करता है, जिससे ओव्यूलेशन न हो पाता है।
3. अत्यधिक वजन कम या ज्यादा होना (Excessive Weight Loss or Gain)
स्वस्थ वजन बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। अत्यधिक वजन कम होना या ज्यादा वजन बढ़ना दोनों ही ओव्यूलेशन को प्रभावित कर सकते हैं। जब शरीर का वजन बहुत कम या ज्यादा होता है, तो हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जो ओव्यूलेशन में समस्या पैदा करता है।
4. तनाव (Stress)
लंबे समय तक तनाव में रहने से शरीर में कॉर्टिसोल (Stress hormone) का स्तर बढ़ सकता है, जो ओव्यूलेशन को रोक सकता है। तनाव महिला के हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करता है, और इससे ओव्यूलेशन में असामान्यता हो सकती है।
5. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
कभी-कभी महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन और एस्त्रोजन जैसे हार्मोन असंतुलित हो सकते हैं, जो ओव्यूलेशन प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। जब हार्मोन असंतुलित होते हैं, तो अंडाशय से अंडाणु का उत्सर्जन नहीं होता।
6. उम्र का प्रभाव (Age Factor)
महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ ओव्यूलेशन की संभावना कम हो जाती है। 35 वर्ष के बाद महिलाओं में अंडाणुओं की गुणवत्ता घटने लगती है, और ओव्यूलेशन में अनियमितताएं आ सकती हैं।

 

ओव्यूलेशन का गर्भधारण से क्या संबंध है? 

अगर आप प्रेग्नेंट होना चाहती हैं, तो ओव्यूलेशन के समय संभोग करना सबसे उपयुक्त होता है। क्योंकि अंडाणु सिर्फ 12 से 24 घंटे तक जीवित रहता है, और शुक्राणु 3 से 5 दिन तक महिला के शरीर में जीवित रह सकते हैं। इसीलिए, ओव्यूलेशन से कुछ दिन पहले और ओव्यूलेशन के दिन अगर यौन संबंध बनाए जाते हैं, तो गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है।
 
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Ovulation से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाली बातें (FAQs)

कैसे पता लगाएं कि ओवुलेशन हो रहा है?
ओवुलेशन का पता आप अपने शरीर के छोटे-छोटे संकेतों से लगा सकते हैं। इस दौरान सर्वाइकल म्यूकस पतला और अंडे की सफेदी जैसा हो जाता है। हल्का पेट दर्द, स्तनों में भारीपन और शरीर के तापमान में मामूली बढ़त भी इसका संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा ओवुलेशन किट भी इस समय को पहचानने में मदद करती है।

ओवुलेशन के संकेत क्या होते हैं?
ओवुलेशन के समय शरीर में कुछ बदलाव नज़र आते हैं जैसे — सर्वाइकल म्यूकस में बदलाव, पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द या खिंचाव महसूस होना, मूड में उत्साह या बेचैनी, और कुछ महिलाओं में हल्का स्पॉटिंग भी हो सकता है।

पीरियड खत्म होने के कितने दिन बाद ओवुलेशन होता है?
यह आपके मासिक चक्र की लंबाई पर निर्भर करता है। आम तौर पर यदि चक्र 28 दिन का है तो ओवुलेशन पीरियड खत्म होने के करीब 12 से 16 दिन बाद होता है। हर महिला के शरीर में ये समय थोड़ा आगे-पीछे हो सकता है।

Ovulation के कितने दिन बाद गर्भ ठहरता है?
ओवुलेशन के बाद अंडाणु करीब 12 से 24 घंटे तक जीवित रहता है। इस दौरान अगर शुक्राणु अंडाणु से मिल जाए तो गर्भधारण हो सकता है। सफल फर्टिलाइजेशन के करीब 6 से 12 दिन बाद इम्प्लांटेशन होता है और तब जाकर गर्भ की पुष्टि हो पाती है।

क्या ओवुलेशन के दौरान पीसीओएस (PCOS) से प्रभावित महिला के लिए गर्भधारण संभव है?
हाँ, पीसीओएस के बावजूद भी महिला गर्भधारण कर सकती है। हालांकि पीसीओएस के कारण ओवुलेशन अनियमित हो सकता है, लेकिन सही इलाज, लाइफस्टाइल और डॉक्टरी सलाह से यह संभव है।

क्या ओवुलेशन के दौरान शरीर में कोई अन्य बदलाव होते हैं?
ओवुलेशन के समय शरीर में हार्मोनल बदलाव के चलते भूख, गंध पहचानने की क्षमता, मूड और ऊर्जा में भी हल्का फर्क महसूस हो सकता है। कभी-कभी चेहरे पर मुंहासे या हल्का सिरदर्द भी हो सकता है।

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