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गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद उल्टी होती है? इसके कारण, लक्षण और इससे बचने के उपाय।
गर्भधारण एक महिला के जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण होता है, जिसमें कई शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। गर्भ ठहरने के बाद उल्टी आना (मॉर्निंग सिकनेस) एक सामान्य लक्षण है, जो हार्मोनल बदलाव के कारण होता है। अक्सर पहले तीन महीनों में ठीक हो जाता है। राहत के लिए हल्का भोजन करें, पानी पिएं और अदरक या नींबू जैसी प्राकृतिक चीज़ों की मदद लें। अगर उल्टी बहुत ज्यादा हो या कमजोरी महसूस हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
गर्भधारण के बाद उल्टी कब होती है?
अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्था के 6 सप्ताह से मतली और उल्टी की समस्या शुरू होती है। कुछ महिलाओं में यह जल्दी (4-5 सप्ताह में) भी हो सकती है, जबकि कुछ को बिल्कुल भी नहीं होती। यह 9वें से 12वें सप्ताह के बीच अपने चरम पर होती है। यह तीसरी तिमाही (12 से 14 सप्ताह) तक धीरे-धीरे कम हो जाती है। हालांकि, कुछ महिलाओं को दूसरी तिमाही में भी हल्की मतली हो सकती है, और बहुत कम मामलों में यह पूरे गर्भकाल तक बनी रह सकती है।गर्भावस्था में उल्टी क्यों होती है?
गर्भावस्था में उल्टी का मुख्य कारण शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं।1. हार्मोनल बदलाव
गर्भधारण के बाद शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिससे एचसीजी (HCG) हार्मोन का स्तर तेजी से बढ़ता है। यह हार्मोन गर्भावस्था को बनाए रखने में मदद करता है, लेकिन इसकी अधिकता मतली और उल्टी का कारण बन सकती है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर भी बढ़ जाता है, जिससे पाचन प्रक्रिया धीमी हो सकती है और पेट में जलन या गैस की समस्या हो सकती है।
2. गंध के प्रति संवेदनशीलता
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की घ्राण शक्ति (Sense of Smell) अधिक तेज हो सकती है, जिससे कुछ गंध असहज महसूस होने लगती हैं। मसालेदार खाना, इत्र, धुआं, कॉफी या पेट्रोल जैसी तेज गंध उल्टी का कारण बन सकते हैं।
3. पाचन तंत्र में बदलाव
प्रोजस्टेरोन हार्मोन पाचन तंत्र को धीमा कर देता है, जिससे गैस, एसिडिटी और पेट फूलने की समस्या हो सकती है। धीमी पाचन क्रिया के कारण भोजन अधिक समय तक पेट में रहता है, जिससे मतली और उल्टी की संभावना बढ़ जाती है।
4. तनाव और मानसिक प्रभावगर्भावस्था के दौरान मानसिक तनाव और चिंता भी उल्टी की संभावना को बढ़ा सकते हैं। अधिक तनाव लेने से शरीर में ऐसे रसायन उत्पन्न होते हैं जो उल्टी का कारण बन सकते हैं। पर्याप्त नींद न लेने और गर्भावस्था को लेकर बढ़ती चिंता भी शरीर को प्रभावित कर सकती है।
5. शरीर की सुरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) का बदलाव
गर्भावस्था के दौरान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) में बदलाव आता है, जिससे कुछ महिलाओं में उल्टी और मतली अधिक हो सकती है। शरीर इन परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील हो जाता है, जिससे मॉर्निंग सिकनेस अधिक महसूस हो सकती है।
गर्भावस्था में उल्टी के लक्षण
- लगातार मतली महसूस होना
- सुबह उठते ही कुछ गंध या स्वाद से उल्टी आना (मॉर्निंग सिकनेस)
- कुछ खास पदार्थों की गंध से घबराहट होना (मसाले, परफ्यूम, पेट्रोल)
- भूख न लगना या खाने की इच्छा न होना
- कमजोरी और चक्कर आना
गर्भावस्था में उल्टी से बचने के उपाय
1. छोटे-छोटे भोजन लें
एक बार में अधिक भोजन करने की बजाय, दिन में 5-6 बार हल्का भोजन करें। अधिक मात्रा में खाने से पेट पर दबाव बढ़ सकता है और मतली हो सकती है। छोटे अंतराल में हल्का और सुपाच्य भोजन करने से पाचन बेहतर रहता है और उल्टी की संभावना कम होती है।
2. पानी और तरल पदार्थ अधिक पिएं
गर्भावस्था में हाइड्रेटेड रहना बहुत जरूरी है, क्योंकि पानी की कमी से मतली और चक्कर आ सकते हैं। नारियल पानी, नींबू पानी, सूप और हर्बल टी जैसे तरल पदार्थ शरीर को हाइड्रेट रखते हैं और उल्टी की समस्या को कम करने में मदद करते हैं। ठंडा पानी या इलेक्ट्रोलाइट युक्त पेय पीने से भी राहत मिल सकती है।
3. अदरक और पुदीना का सेवन करें
अदरक की चाय, अदरक का पानी या शहद के साथ अदरक लेने से मतली में आराम मिलता है। पुदीना भी पेट को शांत करने में सहायक होता है। पुदीना की पत्तियों को चबाने या पुदीने की चाय पीने से उल्टी की समस्या कम हो सकती है।
4. अधिक आराम करें
तनाव और थकान से मतली बढ़ सकती है, इसलिए गर्भावस्था में पर्याप्त नींद और आराम लेना बहुत जरूरी है। दिन में हल्की झपकी लेना और ज्यादा थकान से बचना मतली को कम करने में सहायक हो सकता है।
5. तेज गंध से बचें
गर्भावस्था के दौरान सूंघने की क्षमता अधिक तेज हो जाती है, जिससे कुछ गंध असहज महसूस हो सकती हैं और उल्टी आ सकती है। मसालेदार खाना, धुआं, इत्र, या किसी और तेज गंध से बचने की कोशिश करें, जिससे आपको मतली महसूस होती है।
6. विटामिन B6 सप्लीमेंट लें
शोधों में पाया गया है कि विटामिन B6 की कमी से उल्टी की समस्या बढ़ सकती है। यह विटामिन पाचन को सुधारने और मतली को कम करने में मदद करता है। अपने डॉक्टर से परामर्श करके विटामिन B6 सप्लीमेंट लेने पर विचार करें।
7. तेल या मसालेदार खाद्य पदार्थों से बचें
तले-भुने और मसालेदार खाने से पेट में जलन हो सकती है और उल्टी की संभावना बढ़ सकती है। हल्का, कम मसाले वाला और सुपाच्य भोजन करें, जैसे कि दलिया, खिचड़ी और उबली हुई सब्जियाँ । ज्यादा तैलीय और भारी भोजन से बचने की कोशिश करें।
कब डॉक्टर से संपर्क करें?
अगर गर्भावस्था में उल्टी बहुत ज्यादा हो रही है और आपको निम्नलिखित समस्याएं हो रही हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
- पूरा दिन कुछ भी खाने-पीने में कठिनाई हो
- अत्यधिक कमजोरी महसूस हो
- शरीर में पानी की कमी के लक्षण (डिहाइड्रेशन) दिखें
- पेशाब का रंग बहुत गहरा हो
- वजन तेजी से घटने लगे
निष्कर्ष
गर्भधारण के 4 से 6 सप्ताह के भीतर अधिकतर महिलाओं को मतली और उल्टी की समस्या शुरू हो जाती है, जो आमतौर पर 12 से 16 सप्ताह तक बनी रहती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन अगर समस्या गंभीर हो जाए तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। सही खान-पान और जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल(FAQs)
क्या उल्टी होना गर्भावस्था का संकेत है?हाँ, उल्टी (मॉर्निंग सिकनेस) गर्भावस्था का एक सामान्य लक्षण है, लेकिन हर महिला को यह नहीं होता। यह आमतौर पर हार्मोनल बदलाव के कारण होती है।
गर्भ ठहर गया है कैसे पता चलता है?
गर्भधारण का पता पीरियड मिस, मतली, स्तनों में संवेदनशीलता, और थकान जैसे लक्षणों से चल सकता है। पुष्टि के लिए होम प्रेग्नेंसी टेस्ट या ब्लड टेस्ट कराना जरूरी है।
15 दिन की प्रेगनेंसी के क्या लक्षण होते हैं?
गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण थकान, हल्की ऐंठन, स्तनों में बदलाव, हल्की मिचली, और कभी-कभी स्पॉटिंग (निरोध रक्तस्राव) हो सकते हैं।
गर्भधारण के कितने दिन बाद उल्टी होती है?
उल्टी आमतौर पर गर्भावस्था के 6वें सप्ताह से शुरू होती है और 12-14 सप्ताह तक बनी रह सकती है। कुछ महिलाओं को जल्दी या देर से भी यह लक्षण महसूस हो सकता है।