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गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद पता चलता है?

गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद पता चलता है?

Gynecologist & IVF Specialist, Vinsfertility Hospital 18+ Years Experience • 1,000+ Successful Live Births

माँ बनना हर महिला के जीवन का एक बहुत ही खास और खुशियों से भरा अनुभव होता है। जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो सबसे पहला सवाल जो उसके मन में उठता है, वह यह होता है – "गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद पता चलता है?" इसका जवाब हर महिला के शरीर की स्थिति, मासिक धर्म के चक्र और प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों पर निर्भर करता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि गर्भ ठहरने के बाद कब-कब संकेत मिलने लगते हैं, कौन-कौन से लक्षण दिखते हैं, और सबसे सही समय कब होता है जब आप गर्भवती होने का पता लगा सकती हैं।
 

गर्भधारण की प्रक्रिया क्या होती है?

गर्भधारण तब होता है जब महिला के अंडाणु में पुरुष के शुक्राणु का मिलन हो जाता है और वह अंडाणु गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है। इसे गर्भ का ठहरना कहते हैं। यह पूरा प्रक्रिया आमतौर पर ओव्यूलेशन के 6 से 12 दिन बाद होती है।

  • ओव्यूलेशन(ovulation): मासिक धर्म के चक्र का वह समय होता है जब अंडाणु अंडाशय से बाहर निकलता है। यह आमतौर पर मासिक धर्म के 14वें दिन के आस-पास होता है।

  • इम्प्लांटेशन(Implantation): ओव्यूलेशन के 6 से 12 दिन बाद फर्टिलाइज्ड अंडाणु गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है। इस प्रक्रिया को इम्प्लांटेशन कहते हैं।

  • एचसीजी हार्मोन(hCG): इम्प्लांटेशन के बाद महिला के शरीर में एक खास हार्मोन, जिसे एचसीजी (hCG) कहते हैं, बनने लगता है। यही हार्मोन प्रेगनेंसी टेस्ट में दिखता है और गर्भवती होने का पता चलता है।

 

गर्भ ठहरने के बाद दिखने वाले शुरुआती लक्षण कौन-कौन से होते हैं?

हर महिला के शरीर की प्रकृति अलग होती है, इसलिए गर्भधारण के लक्षण भी अलग-अलग समय पर नजर आ सकते हैं। प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण आमतौर पर गर्भ ठहरने के 7 से 14 दिन बाद कुछ सामान्य लक्षण दिखाई देने लगते हैं। आइए जानते हैं उन लक्षणों के बारे में:

  1. पीरियड का बंद होना

    सबसे पहला और साफ संकेत होता है कि आपकी मासिक धर्म अवधि में देरी हो गई हो या वह रुक गई हो। यदि आपकी पीरियड की तारीख को 7 दिन या उससे ज्यादा हो गए हैं और पीरियड्स नहीं आए हैं, तो यह गर्भवती होने का संकेत हो सकता है।

  2. हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग

    इसे ‘इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग’ कहा जाता है। यह तब होती है जब गर्भ का अंडाणु गर्भाशय की दीवार से चिपकता है। इस दौरान हल्की गुलाबी या भूरी रंग की ब्लीडिंग हो सकती है, जो मासिक धर्म से अलग होती है।

  3. स्तनों में भारीपन या दर्द

    हार्मोनल बदलाव के कारण स्तनों में सूजन, भारीपन या निप्पल का रंग गहरा होने जैसा महसूस हो सकता है।

  4. थकान और नींद की कमी

    गर्भावस्था की शुरुआत में शरीर में ऊर्जा ज्यादा खर्च होती है, जिससे आपको अधिक थकावट महसूस हो सकती है और ज्यादा नींद भी आ सकती है।

  5. मतली और उल्टी

    कुछ महिलाओं को गर्भधारण के 2 सप्ताह के भीतर मतली या उल्टी की शिकायत होने लगती है, जिसे सामान्यत: मॉर्निंग सिकनेस कहा जाता है।

  6. बार-बार पेशाब आना

    गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है और किडनी ज्यादा सक्रिय हो जाती है, इसलिए बार-बार पेशाब आना आम बात है।
     

गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करें?

  • जब आपकी पीरियड्स की तारीख छूट जाए और एक सप्ताह (7 दिन) बीत जाए, तब प्रेगनेंसी टेस्ट करना सबसे सटीक माना जाता है।

  • अगर आप जल्दी पता करना चाहती हैं, तो ओव्यूलेशन के 14-15 दिन बाद, यानी इम्प्लांटेशन के लगभग 7-10 दिन बाद ब्लड टेस्ट करवा सकती हैं। यह ब्लड टेस्ट बहुत ही भरोसेमंद होता है और जल्दी परिणाम देता है।
     

प्रेग्नेंसी टेस्ट के प्रकार:

  1. होम प्रेगनेंसी टेस्ट (Urine Test):
    यह टेस्ट यूरिन में HCG हार्मोन की मौजूदगी को जांचता है। इसे आप आसानी से घर पर कर सकती हैं।

  2. रक्त परीक्षण (बीटा HCG टेस्ट)
    यह सबसे सही और भरोसेमंद तरीका है। इस टेस्ट से गर्भ ठहरने के 7 से 10 दिन बाद ही पता चल सकता है कि आप गर्भवती हैं या नहीं।

 

प्रेग्नेंसी की पुष्टि कैसे करें?

अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं और घर पर किया गया प्रेग्नेंसी टेस्ट सकारात्मक आया है, तो यह जानने के लिए कि आप सच में गर्भवती हैं या नहीं, किसी अच्छे महिला रोग विशेषज्ञ (स्त्री रोग विशेषज्ञ) से मिलना ज़रूरी है।
डॉक्टर आपकी प्रेग्नेंसी की पुष्टि करने के लिए कुछ जरूरी जांचें करवा सकते हैं:

  • रक्त परीक्षण (बीटा HCG टेस्ट):
    यह खून की जांच गर्भधारण के शुरुआती दिनों में सबसे सटीक परिणाम देती है।

  • अल्ट्रासाउंड जांच:
    गर्भधारण के लगभग 6 सप्ताह बाद यह जांच की जाती है, जिससे गर्भ की सही स्थिति और भ्रूण का विकास देखा जा सकता है।

 
निष्कर्ष

गर्भ ठहरने के बाद उसके लक्षण आमतौर पर 7 से 14 दिनों के भीतर दिखाई देने लगते हैं, लेकिन हर महिला का शरीर अलग होता है, इसलिए यह समय सभी के लिए एक जैसा नहीं होता। अगर आपके पीरियड समय पर नहीं आए हैं और साथ में आपको कुछ शुरुआती लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो सबसे पहले घर पर प्रेगनेंसी टेस्ट करें या फिर ब्लड टेस्ट के ज़रिए पुष्टि करवाएं। यदि टेस्ट का नतीजा सकारात्मक आता है या आपको कोई भी संदेह हो, तो बिना देरी किए किसी योग्य स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें। सही समय पर सलाह और देखभाल से आप एक सुरक्षित और स्वस्थ गर्भावस्था की ओर पहला कदम बढ़ा सकती हैं।


Frequently Asked Questions

 

Q1. गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना सही रहता है?

प्रेगनेंसी टेस्ट कब करें इसका सबसे अच्छा समय है पीरियड मिस होने के 7 दिन बाद। इस समय तक यूरिन में hCG हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे टेस्ट अधिक सटीक होता है।


Q2. क्या गर्भ ठहरने के तुरंत बाद कोई लक्षण दिखाई देते हैं?

नहीं, आमतौर पर गर्भधारण के 7 से 14 दिन बाद प्रेग्नेंसी के लक्षण जैसे थकान, स्तनों में भारीपन, मतली (मॉर्निंग सिकनेस), और बार-बार पेशाब आने जैसे संकेत दिखने लगते हैं।


Q3. गर्भावस्था की पुष्टि के लिए कौन सा टेस्ट सबसे सही है?

ब्लड टेस्ट (बीटा hCG टेस्ट) सबसे सटीक होता है। यह गर्भ ठहरने के 7 से 10 दिन के भीतर भी प्रेग्नेंसी की पुष्टि कर सकता है।


Q4. इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कब होती है और कैसे पहचानें?

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग गर्भ ठहरने के लगभग 6 से 12 दिन बाद होती है। यह हल्की गुलाबी या भूरे रंग की स्पॉटिंग होती है जो पीरियड्स से अलग होती है और 1-2 दिन तक ही रहती है।


Q5. क्या बिना प्रेगनेंसी टेस्ट के गर्भावस्था का पता लगाया जा सकता है?

हाँ, कुछ शुरुआती गर्भावस्था के लक्षणों जैसे कि पीरियड मिस होना, स्तनों में बदलाव, थकान और मतली से संकेत मिल सकते हैं, लेकिन पुष्टि के लिए प्रेगनेंसी टेस्ट जरूरी होता है।


Q6. क्या हर महिला में गर्भावस्था के लक्षण एक जैसे होते हैं?

नहीं, हर महिला की बॉडी अलग होती है, इसलिए प्रेग्नेंसी के लक्षण अलग-अलग समय पर और अलग प्रकार से महसूस हो सकते हैं।


Q7. प्रेगनेंसी टेस्ट नेगेटिव आया लेकिन लक्षण महसूस हो रहे हैं, क्या करें?

ऐसे में कुछ दिन बाद फिर से टेस्ट करें या फिर ब्लड टेस्ट (बीटा hCG) कराएं। साथ ही किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।
 

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