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सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer in hindi) | लक्षण और कारण | उपचार और रोकथाम

सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer in hindi) | लक्षण और कारण | उपचार और रोकथाम

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सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) महिलाओं में होने वाला एक गंभीर लेकिन रोकथाम योग्य कैंसर है। भारत में, यह महिलाओं में होने वाले कैंसर का दूसरा सबसे आम प्रकार है। इस बीमारी के बारे में सही जानकारी और जागरूकता की कमी के कारण, अक्सर इसका पता बहुत देर से चलता है, जब इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। यह लेख आपको सर्वाइकल कैंसर के बारे में विस्तृत जानकारी देगा, जिसमें इसके कारण, लक्षण, रोकथाम, और उपचार शामिल हैं।
 

सर्वाइकल कैंसर क्या है?

सर्वाइकल कैंसर, जिसे गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर भी कहते हैं, गर्भाशय के निचले हिस्से (गर्भाशय ग्रीवा) में शुरू होता है। गर्भाशय ग्रीवा एक संकरी ट्यूब जैसी संरचना होती है, जो गर्भाशय को योनि से जोड़ती है। यह कैंसर तब होता है जब गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं।

यह एक धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर है। शुरुआती चरण में, गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में असामान्य बदलाव (जिसे डिसप्लेसिया कहते हैं) होते हैं। यदि इन बदलावों का समय पर पता लगाकर इलाज न किया जाए, तो ये धीरे-धीरे कैंसर में बदल सकते हैं।

सर्वाइकल कैंसर और महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में जागरूकता के साथ-साथ अन्य महिला स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी भी महत्वपूर्ण है, जैसे भारत में सरोगेसी की लागत और बैंगलोर में सरोगेसी की लागत


सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती चरण में अक्सर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। यही कारण है कि नियमित जांच इतनी महत्वपूर्ण है। जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं:

  • असामान्य योनि से रक्तस्राव: यह सबसे आम लक्षण है। इसमें मासिक धर्म के बीच में, शारीरिक संबंध बनाने के बाद, या रजोनिवृत्ति (Menopause) के बाद रक्तस्राव हो सकता है।

  • असामान्य योनि स्राव: स्राव पतला, पानी जैसा, या बदबूदार हो सकता है और उसमें खून भी मिला हो सकता है।

  • पेल्विक (Pelvic) दर्द: पेट के निचले हिस्से या पेल्विक क्षेत्र में लगातार दर्द हो सकता है।

  • शारीरिक संबंध बनाने के दौरान दर्द: इस स्थिति को डिसपेरुनिया (Dyspareunia) भी कहते हैं।

  • अन्य लक्षण: गंभीर स्थिति में, वजन का घटना, थकान, पैरों में सूजन, या पेशाब या मल त्याग में कठिनाई हो सकती है।

यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।


सर्वाइकल कैंसर के कारण

सर्वाइकल कैंसर का सबसे प्रमुख कारण ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) है। एचपीवी एक यौन संचारित वायरस है, जिसके 100 से अधिक प्रकार होते हैं। इनमें से लगभग 14 प्रकार (मुख्यतः HPV-16 और HPV-18) उच्च जोखिम वाले माने जाते हैं, जो सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकते हैं।

हालांकि, हर एचपीवी संक्रमण से कैंसर नहीं होता। अधिकांश मामलों में, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) वायरस को स्वयं ही खत्म कर देती है। लेकिन कुछ मामलों में, वायरस शरीर में बना रहता है और गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में बदलाव का कारण बनता है, जिससे कैंसर हो सकता है।

एचपीवी संक्रमण के अलावा, कुछ अन्य जोखिम कारक भी हैं जो सर्वाइकल कैंसर की संभावना को बढ़ा सकते हैं:

  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: एचआईवी (HIV) या अन्य बीमारियों के कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाली महिलाएं अधिक जोखिम में होती हैं।

  • धूम्रपान: तंबाकू में मौजूद रसायन गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

  • लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग: 5 साल या उससे अधिक समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग करने वाली महिलाओं में जोखिम बढ़ सकता है।

  • कम उम्र में यौन संबंध शुरू करना: कम उम्र में यौन संबंध शुरू करने से एचपीवी संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है।

  • कई यौन साथी होना: जितने अधिक यौन साथी होंगे, एचपीवी संक्रमण का जोखिम उतना ही अधिक होगा।


सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम 

अच्छी खबर यह है कि सर्वाइकल कैंसर एक रोकथाम योग्य बीमारी है। इसे रोकने के लिए दो मुख्य तरीके हैं:

1. एचपीवी टीकाकरण (HPV)

एचपीवी का टीका सर्वाइकल कैंसर को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है। यह टीका एचपीवी के उन प्रकारों से सुरक्षा प्रदान करता है, जो कैंसर का कारण बनते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, यह टीका 9 से 14 वर्ष की लड़कियों को दिया जाना चाहिए, इससे पहले कि वे यौन रूप से सक्रिय हों। भारत सरकार ने भी 9 से 14 वर्ष की लड़कियों के लिए एचपीवी टीकाकरण शुरू करने की घोषणा की है।

2. नियमित स्क्रीनिंग और जांच

नियमित रूप से जांच करवाना कैंसर को शुरुआती चरण में ही पकड़ने में मदद करता है। दो मुख्य जांच हैं:

  • पैप स्मीयर टेस्ट (Pap Smear Test): इस टेस्ट में, डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं का एक नमूना लेते हैं। इस नमूने को माइक्रोस्कोप के नीचे जांचा जाता है ताकि असामान्य कोशिकाओं का पता लगाया जा सके।

  • एचपीवी डीएनए टेस्ट (HPV DNA Test): यह टेस्ट गर्भाशय ग्रीवा में एचपीवी वायरस की उपस्थिति का पता लगाता है।

21 से 65 वर्ष की आयु की महिलाओं को नियमित रूप से पैप स्मीयर टेस्ट और एचपीवी डीएनए टेस्ट करवाना चाहिए।


सर्वाइकल कैंसर का उपचार 

अगर स्क्रीनिंग में कोई असामान्य परिणाम आता है, तो डॉक्टर आगे की जांच की सलाह दे सकते हैं, जैसे:

  • कोल्पोस्कोपी (Colposcopy): इस प्रक्रिया में, डॉक्टर एक विशेष माइक्रोस्कोप (कोल्पोस्कोप) का उपयोग करके गर्भाशय ग्रीवा की जांच करते हैं।

  • बायोप्सी (Biopsy): यदि कोल्पोस्कोपी में कुछ संदिग्ध लगता है, तो डॉक्टर एक छोटा ऊतक (Tissue) का नमूना लेते हैं, जिसे बायोप्सी कहते हैं। इस नमूने की प्रयोगशाला में जांच की जाती है ताकि यह पुष्टि हो सके कि कैंसर है या नहीं।
    सर्वाइकल कैंसर का उपचार कैंसर के चरण पर निर्भर करता है। शुरुआती चरण में, इसका इलाज सफल होने की संभावना बहुत अधिक होती है। उपचार के मुख्य विकल्प हैं:

  • सर्जरी (Surgery): शुरुआती चरण के कैंसर में, गर्भाशय ग्रीवा के केवल एक हिस्से (कोनाइजेशन) या पूरे गर्भाशय (हिस्टेरेक्टॉमी) को हटाया जा सकता है।

  • विकिरण थेरेपी (Radiation Therapy): इस थेरेपी में, उच्च-ऊर्जा किरणों का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है।

  • कीमोथेरेपी (Chemotherapy): इस थेरेपी में, दवाओं का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है।

  • टारगेटेड थेरेपी (Targeted Therapy): यह नई थेरेपी कैंसर कोशिकाओं को विशेष रूप से लक्षित करती है, जिससे स्वस्थ कोशिकाओं को कम नुकसान होता है।


सर्वाइकल कैंसर और गर्भावस्था

अगर किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान सर्वाइकल कैंसर का पता चलता है, तो डॉक्टर स्थिति की गंभीरता के आधार पर उपचार का निर्णय लेते हैं। शुरुआती चरण के कैंसर में, उपचार को बच्चे के जन्म के बाद तक टाला जा सकता है। लेकिन अगर कैंसर बहुत आगे बढ़ चुका है, तो तुरंत उपचार शुरू करना पड़ सकता है, जिसमें गर्भावस्था को समाप्त करने की सलाह भी दी जा सकती है।

भारत सरकार की सर्वाइकल कैंसर रोकथाम पहलें

भारत सरकार ने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं।
1. HPV टीकाकरण कार्यक्रम

केंद्रीय वित्त मंत्री ने 9 से 14 वर्ष की लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम हेतु HPV टीकाकरण कार्यक्रम की घोषणा की है। यह कार्यक्रम 'सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0' के तहत लागू किया जाएगा।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें: Press Information Bureau - 1 फरवरी 2024

2. HPV टीकाकरण अभियान पर स्पष्टीकरण

स्वास्थ्य मंत्रालय ने मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया है, जिसमें दावा किया गया था कि सरकार 9 से 14 वर्ष की लड़कियों के लिए HPV टीकाकरण अभियान शुरू करने जा रही है। मंत्रालय ने कहा है कि इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें: Press Information Bureau - 13 जनवरी 2024


निष्कर्ष 

सर्वाइकल कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन जानकारी, जागरूकता, और सही कदम उठाकर इसे पूरी तरह से रोका जा सकता है। एचपीवी का टीका लगवाएं, नियमित रूप से स्क्रीनिंग करवाएं, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। आपकी जागरूकता आपकी और आपके प्रियजनों की जान बचा सकती है। स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें!
 

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. सर्वाइकल कैंसर की पहचान कैसे होती है?
सर्वाइकल कैंसर की पहचान पाप स्मीयर (Pap smear), HPV टेस्ट और बायोप्सी के जरिए होती है।

2. सर्वाइकल कैंसर को कैसे ठीक किया जा सकता है?
इलाज में सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरापी शामिल हो सकते हैं, जो कैंसर के स्टेज और मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।

3. क्या सर्वाइकल कैंसर पूरे शरीर में फैल सकता है?
हाँ, अगर समय पर इलाज न हो तो यह आसपास के अंगों और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है।

4. सर्वाइकल कैंसर का दूसरा नाम क्या है?
सर्वाइकल कैंसर को गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर भी कहते हैं।

5. सर्वाइकल कैंसर का पहला चरण क्या है?
पहले चरण में कैंसर केवल गर्भाशय ग्रीवा तक सीमित रहता है और आसपास के अंगों में नहीं फैला होता।

6. सर्वाइकल कैंसर के स्टेज 4 के क्या लक्षण हैं?
स्टेज 4 में गंभीर दर्द, असामान्य रक्तस्राव, यूरिन या मल में समस्या, और वजन कम होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं।

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