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बच्चेदानी में गांठ का घरेलू इलाज: जानिए जैविक उपाय

बच्चेदानी में गांठ का घरेलू इलाज: जानिए जैविक उपाय

Gynecologist & IVF Specialist, Vinsfertility Hospital 18+ Years Experience • 1,000+ Successful Live Births

बच्चेदानी में गांठ(Uterine Fibroids)  का मतलब है गर्भाशय में छोटी-छोटी गांठें बन जाना। ये गांठें आमतौर पर बच्चे पैदा करने की उम्र की महिलाओं में होती हैं। ये गांठें ज़्यादातर नुकसानदायक नहीं होतीं, लेकिन इनके कारण भारी रक्तस्राव, पेट दर्द, मासिक धर्म की गड़बड़ी और बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह गांठें अक्सर गैर-कैंसरयुक्त होती हैं, बच्चेदानी में होने वाली गांठ की स्थिति का इलाज करने के लिए आप डॉक्टर से सलाह लें अथवा जल्दी रिकवरी के लिए आप कुछ घरेलू नुस्खों को भी आजमा सकते हैं
आइए जानते हैं कि बच्चेदानी की गांठ के लिए कौन-कौन से घरेलू इलाज और आयुर्वेदिक उपाय कारगर हो सकते हैं।

बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है?

बच्चेदानी में गांठ, जिसे फाइब्रॉइड (Fibroid) या यूटेरिन फाइब्रॉइड कहा जाता है, वास्तव में बच्चेदानी (uterus) की दीवार में बनने वाली एक गैर-कैंसर वाली मांसपेशियों और टिशू की ठोस वृद्धि (गांठ) है। ये गांठें आकार में भिन्न हो सकती हैं — कुछ तो इतनी छोटी होती हैं कि उन्हें देख पाना मुश्किल होता है, जबकि कुछ इतनी बड़ी हो सकती हैं कि पेट में सूजन का एहसास होने लगे। बच्चेदानी में गांठ होने के पीछे कुछ मुख्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे

  • हार्मोनल असंतुलन (एस्ट्रोजन का बढ़ना)

  • मोटापा

  • तनाव और खराब जीवनशैली

  • अधिक प्रोसेस्ड और जंक फूड का सेवन

  • पारिवारिक इतिहास

बच्चेदानी में गांठ के सामान्य लक्षण:-

  • पेट के निचले हिस्से में भारीपन या दर्द- पेट के नीचे या कमर के पास लगातार दर्द या दबाव महसूस होना। यह बच्चेदानी की गांठ या महिलाओं की अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।

  • अनियमित मासिक धर्म- पीरियड्स का समय हर महीने बदलना – कभी जल्दी, कभी देर से, या कभी बंद हो जाना। यह हार्मोनल असंतुलन या बच्चेदानी की गांठ से हो सकता है।

  • पेशाब बार-बार आना- दिन में कई बार पेशाब लगना या बार-बार पेशाब आने की जरूरत महसूस होना, जब गांठ मूत्राशय पर दबाव डालती है।

  • कब्ज या गैस- पेट ठीक से साफ न होना या फुलाव महसूस होना। यह तब होता है जब गांठ आंतों पर दबाव डालती है।

  • थकान महसूस होना- दिनभर कमजोरी या ऊर्जा की कमी महसूस होना। यह अत्यधिक रक्तस्राव या हार्मोनल असंतुलन से हो सकता है।

  • बांझपन या गर्भधारण में कठिनाई- गर्भधारण में बार-बार असफलता। यह तब होता है जब गांठ गर्भाशय की संरचना या भ्रूण के विकास में रुकावट डालती है।

बच्चेदानी में गांठ के घरेलू उपाय:-

  • अशोक की छाल का काढ़ा- अशोक की छाल को पानी में उबालकर उसका काढ़ा बनाएं और रोजाना सुबह-शाम पीएं। यह गर्भाशय की मांसपेशियों को मजबूत करता है और गांठ को कम करने में मदद करता है।

  • हल्दी दूध- रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं। हल्दी में सूजन कम करने वाले गुण होते हैं जो गांठ के इलाज में मदद करते हैं।

  • तुलसी के पत्ते- तुलसी के पत्ते चबाने से हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। इसे दिन में दो-तीन बार करें।

  • अदरक और शहद का मिश्रण- अदरक को कद्दूकस कर शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम लें। यह सूजन कम करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।

  • ग्रीन टी (हरी चाय)- हरी चाय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो सूजन और हार्मोनल असंतुलन को कम करने में मदद करते हैं। रोज एक से दो कप हरी चाय पीना फायदेमंद है।

बच्चेदानी में गांठ के आयुर्वेदिक उपाय:-

  • कंचनार गुग्गुल- यह आयुर्वेदिक दवा सूजन कम करती है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालती है। डॉक्टर की सलाह से इसका सेवन करें।

  • त्रिफला चूर्ण- त्रिफला चूर्ण नियमित लेने से पाचन सुधारता है और शरीर की सफाई होती है, जिससे गांठ कम हो सकती है।

  • योग और प्राणायाम- योग और प्राणायाम करने से तनाव कम होता है और हार्मोन संतुलित रहते हैं, जो गांठ की समस्या को कम करता है।

  • शतावरी का सेवन- शतावरी हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखने और प्रजनन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसे आयुर्वेदिक दवा या चूर्ण के रूप में लिया जा सकता है।

  • नीम का उपयोग- नीम की पत्तियों का रस या नीम की काढ़ा सूजन कम करने में मदद करता है। आयुर्वेद में इसे शुद्धिकरण के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

जीवनशैली में बदलाव:-

  • तनाव कम करें – ध्यान (Meditation) और योग अपनाएं।

  • वजन नियंत्रित रखें।

  • प्रोसेस्ड फूड (बनावटी या पैकेट वाला खाना) और चीनी से दूरी बनाएं।

  • हरी पत्तेदार सब्जियां, फल और फाइबर युक्त भोजन लें।

  • नियमित रूप से व्यायाम करें।

कब डॉक्टर से संपर्क करें?

अगर घरेलू उपायों से दर्द, ज्यादा रक्तस्राव या गांठ की समस्या बनी रहे, तो तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। कभी-कभी गांठ बड़ी हो सकती है, और इसके लिए सर्जरी या मेडिकल इलाज की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए, समय पर डॉक्टर से सलाह लेना बेहद जरूरी है।

निष्कर्ष

बच्चेदानी में गांठ एक गंभीर लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली स्थिति है। शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज मत करें और समय पर घरेलू उपायों के साथ-साथ डॉक्टर की सलाह लें। कई महिलाएं आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के जरिए इस समस्या से राहत पा चुकी हैं।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) :-

1. बच्चेदानी नीचे खिसकने पर क्या करें?
अगर बच्चेदानी नीचे आ गई है, तो हल्की एक्सरसाइज़ जैसे केगेल करें, भारी सामान न उठाएँ और डॉक्टर से सलाह लें। अशोक, लोध्र और कंचनार जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ भी मदद कर सकती हैं।
2. गांठ क्यों बनती है?
गांठ बनने की सबसे बड़ी वजह शरीर में हार्मोन का बिगड़ना होती है, खासकर एस्ट्रोजन का ज़्यादा होना। इसके अलावा मोटापा, तनाव और खराब खान-पान भी इसका कारण बन सकते हैं।
3. पीठ में गांठ का इलाज क्या है?
अगर पीठ में गांठ है, तो पहले डॉक्टर को दिखाएँ। छोटी गांठों में हल्दी या गर्म पानी की सिकाई से आराम मिल सकता है, लेकिन बड़ी या दर्द देने वाली गांठ का इलाज डॉक्टर ही बताएंगे।
4. बच्चेदानी में गांठ कैसे ठीक करें?
अशोक की छाल, कंचनार गुग्गुल और त्रिफला जैसी आयुर्वेदिक दवाओं से मदद मिल सकती है। साथ में योग और सही खानपान से धीरे-धीरे गांठ कम हो सकती है।
5. गांठ का रामबाण इलाज क्या है?
कंचनार गुग्गुल, अशोक का काढ़ा और हल्दी वाला दूध आयुर्वेद में सबसे असरदार इलाज माने जाते हैं। ये शरीर की सूजन कम करते हैं और हार्मोन ठीक करते हैं।
6. बच्चेदानी में गांठ हो तो क्या खाएं?
बहुत तला-भुना, पैकेट वाला खाना, मीठा, सोया और ज़्यादा चाय/कॉफी से परहेज़ करें। ये चीजें हार्मोन को बिगाड़ सकती हैं और गांठ बढ़ा सकती हैं।
7. बच्चेदानी का देसी इलाज क्या है?
देसी इलाज अशोक की छाल का काढ़ा, त्रिफला चूर्ण और हल्दी लेना अच्छा रहता है। इसके साथ योग, प्राणायाम और घर का सादा खाना फायदेमंद होता है।
 

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